SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 536
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य ५१३ पियविरहविउए संगमसोए दिवसरयणि झूरंति मणे णिरु अंगि सुसंतहं बाह फुरंतहं अप्पह णिदय किपि भणो तसु सुयण निवेसिय भाइण पेसिय मोहवसिण बोलंत खणे मह साइयवक्खरु हरि गउ तक्खरु जाउ सरणि कसु पहिय ! भणो ॥९८॥ इहु डोमिलिउ भणेविणु नित्त महु महुरवयणि हुईय णिमिस णिफंद सरोरुहदलनयणि । ण हु किहु कहिउ ण पिक्खइ जं पुणु अवरु जणु चित्त भित्ति णं लिहिय मुद्ध सच्चविअ क्खणु ॥ ९९ ॥ (२) कवि-असाईत-संवत् १४१७-हंसाउली (गुजरात वर्नाक्युलर सोसाइटीना हस्तलिखित गुटकामांथी ) सकति संभूअ सकति संभूअ पत्त परमेसु । सिद्ध बुद्धि वर विघनहर करु कवित मनि धरूं आदिहि । कासमीरमुषमंडणी हंसगमणि सरसति सामिणि । तास प्रसादि वेदव्या वालमीक रषि इम एहनु उपदेस । तास प्रसादि असाईत भणि वीरकथा वरणव्योस ॥ १॥ अमरावतीसमाणं पेषि प्रमाणं पहूअवयाणं पुर पाटण पहिठाणं अहिठाणं वीरबावनया ॥ २॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy