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________________ चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य विविविअक्खण सत्थिहिं जइ पवसीइ णिरु सुम्मइ छंदु मणोहरु पायउ महुरयरु | कह व ठाइ चउवेइहि वेउ पयासिअइ कह बहुरूवि णिबद्धउ रासउ भासीअइ ॥ ४४ ॥ कह व ठाइ सुदवच्छ कत्थ वर नलचरिउ कत्थ व विविहविणोइहि भारह उच्चरिउ कह व ठाइ आसीसिअ चाईय दय वरिहिं रामायण अहिणवीअइ कत्थ वि कयवरिहिं ॥ ४५ ॥ के आइन्नहि वंशवीणा - काहल - मुरउ कह पयवन्त्रणिबद्ध सुम्मइ गीयरउ । यहि सुमत्थ पीण उन्नयथणिहिं चलहि चोअ करंतीअ कत्थ वि णणिहिं ॥ ४६ ॥ नर अउव्व विभविय विविहनडनाड हि मुच्छिजहि पवसंति य वेसावाड हि महिका व मयविंभल गुरुकरिवरगमणि अन्न रयणतांडकहि परिघोलिरसवणि ॥ ४७ ॥ + तवणि तित्थु चाउदास मियच्छि ! वखाणीयइ मूलथाण सुपसिद्धउ महियलि जाणियइ । तिह हुंत हउं इक्किणि लेहउ पेसियउ भाइत्तिहिं वच पहु आएसियउ ॥ ६७ ॥ एय वयण आयन्निव सिंधुब्भववयणि ससिउ सासु दीउन्हउ सलिलब्भवनयणि । Jain Education International + For Private & Personal Use Only ५११ www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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