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पद्यभाग
( १ ) पंदरमो सैको
एक मुसलमान साक्षरनी कृति
संदेशकरास - कर्ता आशरे पंदरमो सैको ( रा० मधुसूदन मोदीनी हाथप्रत ) रयणायर - घर - गिरि-तरुवराई गयणंगणम्मि रिक्खाई । जेण ज्ज सयल सिरिया सो बुहयण वो सुहं दिंतु ॥ १ ॥ पच्चास पहूओ पुव्वपसिद्धो य मिच्छदेसो वि । तह विस संभूओ आरो मीरसेणस्स (क्खो ) ॥ ३॥ तह तणओ कुलि कमलो पाईयकव्वेसु गीयविसएसु । अद्दहमाण पसिद्धो संनेहयरासयं रईयं ॥ ४ ॥ पुव्वछेयाणं णमो सुकईण य सदसत्यकुसलाण ।
तिअलोए सुच्छंद जेहिं कथं जेहिं निद्दिट्टं ॥ ५ ॥ अवहट्टय - सक्कय - पाइयं च पेसाइयम्मि भासाए । लक्खणछंदाहरणे सुकइत्तं भूसियं जेहिं ॥ ६ ॥ ताणाऽणु कई अम्हारिसाणं सुइ - सदसत्थरहियाणं । लक्खणछंदपमुकं कुकवित्तं को पसंसेइ ? ॥ ७ ॥ जइ परहुएहिं रडियं सरसं सुमनोहरं च तरुसिहरे । ता किं भुवणारूढा मा काया करकरायंतु ? ॥ ९ ॥
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मीरसेणतनय अद्दहमाण - अब्दलरहमान
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