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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य
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पोथी ठवणी कमली सांपडा सांपडी पति आसातना पगु लागउ थुकु लागउ पढतां गुणतां प्रद्वेषु मच्छर अंतराइ हुउ कीधउं हुइ भवसगलाहइमांहि तेह मिच्छा मि दुक्कडं । - मृषावादि सहसातकारि आलु अभ्याख्यानु दीधउं, रहसमंत्रभेदु कीधर मृषोपदेसु दीधउ कुडउ लेखु लिखिउ कुडी साखि थापणिमोसउ कुणहइसउ राडिभेडि कलहु विढाविढि जु कोइ अतिचारु मृषावादि व्रति भवसगलाइमाहि हुउ त्रिविधि त्रिविधि मिच्छा मि दुक्कडं । __ अदत्तादानि विराइउं छानउं फीटुउं लीधउं दीधउं वावरिलं, घरि बाहिरि खेत्रि खलइ पाडइ पाडोसि अणमोकलाविउ चोरीच्छाई चोर प्रति प्रयोगु कीघउ, नवउं पुराणउ रसु विरसु सजीवु निजीयु मेलिउं, कूडी तूल कूडइ मापि कूडउ कहिउ हुइ, अतीचारु अदत्तादानि ति भवसगलाइमांहि हुउ तेह सवहइ मिच्छा मि दुक्कड्ड । __मैथुनव्रति लुहुडपणि आपणा विराया सील खंड्या सिउणइ सिउणांतरि दृष्टिविपर्यासु आठमि-चउदसितणा नीमभंगु, अनंगक्रीडा परविवाहकरणु तिवाभिलाषु धरिउ हुइ अनेरा जु कोइ अतिचारु मैथुनव्रति भवसगलाइमांहि हुअउ तेह सवहइ त्रिविधि त्रिविधि मिच्छा मि दुक्कडं । __हव हियामाहिं सम्यक्त्व धरउ । अरिहंत देवता सुसाधु गुरु जिणप्रणीतु धर्म सम्यक्त्वदंडकु ऊचरउ । हिव अठार पापस्थानक वोसिरावउ, सर्व प्राणातिपात सर्वृ मृषावाद सर्दू अदत्तादान सर्व मैथुन सर्व परिग्रह सर्दू क्रोधु सर्व मानु सर्व माया सर्व लोभु राग द्वेषु कलहु अभ्याख्यानु पैशुन्यु रति-अरति परपरिवादु मायामृषावादु मिथ्यात्वदरिसणसल्यु ए अढार पापस्थान मोक्षमार्ग संसर्ग विघनसमान त्रिविधि त्रिविधि वोसिरावउ, अतीतु निंदउ अनागतु पच्चक्खउ वर्तमान संवरु । सागारु प्रत्याख्यानु उ ।
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