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चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य कुसुमवुट्टि सुर करइ तुहि हुउ जयजयकारो। धनु धनु एहु जु थूलिभद्द जिणि जीतउ मारो ॥२५॥ पडिबोहिवि तह कोसवेस चउमासि अणंतरु । पालिय-ऽभिग्गह ललिय चलिय गुरुपासि मुणीसरु । 'दुक्करदुक्करकारगु'त्ति सूरिहि सु पसंसिउ संखसमुज्जलजसु लसंतु सुरनरहं नमंसिउ ॥ २६ ॥ नंदउ सो सिरिथूलिभद्द जो जुगह पहाणो। मलियउ जिणि जगि मल्लसल-रइवल्हमाणो । खरतरगच्छि जिणपदमसूरि किय फागु रमेवउ । खेला नाचई चैत्रमासि रंगिहि गावेवउ ॥ २७ ॥
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