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________________ ५०२ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति बारहवरिसहंतणउ नेहु किणि कारणि छंडिउ । एवडु निठुरपणउ कंइ मूसिउ तुम्हि मंडिउ । थूलिभद्द पभणेइ वेस अह खेदु न कीजइ । लोहिहि घडियउ हियउ मझ तुह वयणि न भीजइ ॥ १९ ॥ मह विलवंतिय उवरि नाह अणुराग धरीजइ । एरिसु पावसु कालु सयलु मूसिउ माणीजइ । मुणिवइ जंपइ वेस सिद्धिरमणी परिणेवा । मणु लीणउ संजमसिरीहिसुं भोग रमेवा ॥२०॥ भास-भणइ कोस साचउ कियउ नवलइ राचइ लोउ । मूं मिल्हिवि संजमसिरिहि जउ रातउ मुणिराउ ॥२१॥ उवसमरसभरपूरियउ रिसिराउ भणेइ । चिंतामणि परिहरवि कवणु पत्थर गिण्हेइ । तिम संजमसिरि परिचएवि बहुधम्मसमुज्जल। आलिंगइ तुह कोस कवणु पसरंतमहाबल ॥२२॥ पहिलउ हिवडा कोस कहइ जुव्वणफलु लीजइ । तयणंतरि संजमसिरीहि सुह-सुहिण रमीजइ । मुणि बोलइ जि मइ लियउ तं लियउ ज होइ । कवणु सु अच्छइ भुवणतले जो मह मणु मोहइ ॥२३॥ भास-इण परि कोसा अवगणिय थूलिभद्दमुणिराइ । तमु धीरिम अवधारि-करि चमकिय चित्ति सुहाइ ॥२४॥ अइबलवंतु सु मोहराउ जिणि नाणि निधाडिउ । झाणखडग्गिण मयणसुभड समरंगणि पाडिउ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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