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चौदमो अने पन्दरमो सैको ४८५ भूतकाळ : अद्यतनभूत—आजनउ—(आजनो)
आजु कीधउं (आजे कीधुं-यु), आजु लीधउं ( आजे लीधुं “ अलासीत्" गुण), आजु दीधउं
( आजे दीधुं). ह्यस्तनभूत-कालनउ (कालनो)
कालि कीध (काले कीg-कर्यु)
कालि लीघउं ( काले लीधुं " अलात् ” गुण० ) तत्प्राक्तन–तेह पहिलउ (तेनी पहेलो-तेनी पहेलांनो) भूत-सामान्यभूत
आगइ करतउ (आगे-पहेलां करतो)
आगइ लेतउ (आगे लेतो) बहु० आगइ करता (आगे करता)
आगइ लेता (आगे लेता) भूत० कर्म०-आगइ कीधळ (आगे कीg-करायुं) आगइ लीधउं
आगे लीg- लेवायु ( आगइ दीधउं ( आगे दीधुं-देवायुं) ईणई धर्म कीधउं (एणे धर्म कर्यो) ईणइं पुरुषई दस ग्राम पाम्यां (ए पुरुषे दस गाम पाम्यां) ईणई वस्त्र वीक्यां (एणे वस्त्र वेक्यां-वेच्यां) लहुडपणि दिहाडी प्रति हूं बि करस पी जिमतु (लघुपणमां
नानपणमां दहाडा प्रत्ये हुं बे करस घी जमतो) एउ पाँच जोयण भूमि चालतउ (ए पांच जोजन भूमि चालतो) तूं दिहाडी प्रति ५० श्लोक व्याख्यानि भणतउ (तुं दहाडा प्रत्ये ५० श्लोक व्याख्यानमां भणतो-कहेतो)
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