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________________ ४७६ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति धर नामना पारसी पंडित गृहस्थे लखेला गुजराती-गद्यनो छे. ते पारसी लेखक लेखके लखेली गुजराती अने बीजा तरुणप्रभ अने जैन लेखक वगेरे जैन लेखकोए लखेली गुजराती, भाषा तरीके ए बन्नेनी समान गुजराती एक जछे. पारसी पंडिते वापरेलां नामरूपो अने क्रियापदोनी सूची अहीं आपेली छे; तथा नमूनामांथी विभक्तिवार साते विभक्तिओनां उदाहरणो पण जणावेलां छे. ए ऊपरथी उक्त पारसी लेखके वापरेली भाषाना स्वरूपनो स्पष्ट ख्याल आवी शके एम छे अने ए भाषा, पन्नरमा शतकना बीजा लेखकोए वापरेली भाषा करतां लेश पण भिन्न नथी, ए पण ए उदाहरणो द्वारा समझी शकाय एम छे. ___ ए पारसी लेखकनी भाषा सांप्रदायिक वृत्तांतनी साथे संकळायेली छे अने तेथी तेमां केटलाक शब्दो एवा छे के जेनो आपणने परिचय न होय, पण एम होवाथी कांई भाषाना देहमां भेद थतो नथी. आ नमूनाथी एम चोकस सिद्ध थाय छे के गुजरातना रहीश तरीके गुजराती लखनारा जैन, वैदिक, पारसी वा अन्य लेखकोनी भाषा जुदी जुदी नथी होती. जे कोई, जैन अने ब्राह्मण वा तदितर एवा गुजराती लेखकोनी भाषामां भेद कल्पे छे ते भ्रममां छे. उक्त पारसी लेखकनी भाषामां वपरायेला केटलाक शब्दो ऊपर पवित्र अवेस्तावाणीनां उच्चारणोनी असर मालूम पडे छे. अवेस्तावाणीमां 'एषाम्' ने बदले 'अएषाम् ' 'श्रेष्ठ' ने स्थाने 'सएश्त' 'देव'- 'दएव' ‘एतेषाम् ', ' अएतेषाम् ' 'अन्येषाम्'- 'अन्यएषाम् ' 'प्रति', 'पइति' 'दीर्घायु', 'दरेगायु' 'उभय'नुं 'उबोयो' 'भूरि'नुं 'बूइरि' 'भरति'र्नु 'वरइती' 'नारी'नुं 'नाइरी' अने — भेषज 'नुं 'बएषज' एवां उच्चारणो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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