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चौदमो अने पन्दरमो सैको
४६३ कि० क्रि० बी० श० बी० श० चीतवउं परणिवा दूकडु-पासेठाली-ठालीखमावइ
नींकलवइ-नीक- खाली चूकइ
ळवे- पुहुतउ
ना-ना मगावइ
नीकळवाथी सघलु-सघळो सलसलीनइ
थाकु-थावयोनइ-ने सळवळीने
आंबानी कोठो कोठो–पेट चमकिउ करइ
मउडइ) मोडे मोडे घणीक लगइ ग्याथिउ--थयो खीजई मउडइ ) -विलंबे घणे सुधी गया
१६६-असाइत-(संवत् १४१७) असाइतना बीजा शब्दो
कि० क्रि० । बी० श० बी० श० भणि-भणे-कहे धरी नरवि-नरपति साध-साधु-शाह मारिस-मारीश गाइ करि-करमां-हाथमां कोई
छुरी-छरी वाट मारि-मारे कहि रूडी-रूडी वागि-वागे-चोकडे कीया
अवधार कूअरी-कुंवरी सावज गया हती
नरमली-निर्मळी अनोपम कहीइ-कहेवाय मेहला मेल्यां। बावनवीर गढ़ वरणव्योस-वरण कीउ
त्रिपनमु
मढ–मठ -वीश बलतउ पणि-पण
मंदिर वरण आवीउ
मढि-मठमां पोलि-पोळ कार ऊडी गयु-ऊडी बारि-बारणामां पगार-प्राकार
गयो पंचसि-पांचसें सकति-शक्ति कर
संभारुवीनती रषि-ऋषि
होइ
कुपी
धरूं
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