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वसीउ
दीजि
करइ
गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति क्रि०
कि० बी० श० बी० श० मिल्या मारु
पंषिणी-पंखणी कासमीर ऊठाडु-ऊठाड्यो मेलु मूकुं छोडूं ईडा-ईंडां सरसति ऊठिउ ग्यु-गयुनि -ने विघन थयु चडु-चड्यो भरतारि-भरतारे उदभूत-अद्भुत
लगुनि-लगण- परमेसु-परमेश वणास्यु धरसि
सुधी कोइ-कोई १६७ भीम-(संवत् १४८८) भीमना बीजा शब्दो
क्रियापदो जंपइ
| सुझइ पूरइ निसुणि हउं-ह-थो मंडाइ उतारइ झल्लि-झाली अछ।
पडिउ
साहए-साधयति दडवड्यां धडहडइ
विधंसह आवरह गडअडइ
कहइ
वषाणिउ धाइ
संभलि–सांभळ चडावइ
ढलइ घसइ
तोलई किद्ध सोहइ आपूं
लूटी लिई-लूंटी मंति–माय छे थिउ जइ-जईने मंडिउ मांड्यो
ठवइ-स्थापे संचरइ जीवइ
आआ-आव्या थिउ पुहतउ
पापरिउ विन्नवइ, लांषइ-नांखे धमधमई
पंषावरिउ मिली वहाव्यां | गमइ
कंपाव
ढोइई जोइइ
मरइ
आणयू
भंज
पूर्या
दुलंति
। पामीइ
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