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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति बी० श०
बी० श० वली-वळी (सखाइआ-सहायो सउगंधपणउं-सुगंधपणुं नइग्रहउ-निग्रह जोइउ-जोयो भउवन-भुवन विभन्न-विभिन्न स्थानइकु-स्थानक किरि-किल वइनोद-विनोद विहच्यउ]. सउंदर-सुंदर जीवती सउखउ-सुख विहच्यउ।' तऊं-तूं प्रचउर-प्रचुर द्रउगंध-दुर्गध अनइ-अने हउइ-होय
___ १६५-हेमहंस-( संवत् १५००) हेमहंसना बीजा शब्दो कि
क्रि० बी० श० बी० श० आपवउं-आपQ ग्या-गया कुटुंब भारे-भारे-दीर्घ-गुरु आलइ-आले छे छईन्छे (बहु०) चीठी भारी-भारी-दीर्घ-गुरु दिइ-दे छे हओ-हो पाशइ-पासे काजकाम-कामकाज हीडइ-हींडे छे हुइ-होय वन भणी-वन- किमइ-केमे परिणेवा-परणवा | ध्याईइं–ध्याईए तरफ सासू-सासू घाती-घाली-नाखी कहइ छइ-कहेछे सादि-सादे सिउं-शुं । ढांकी छै
थिउ--थयो नणंद-नणंद मूंकिउ-मूक्यो मिलशइ दीहाडउ-दहाडो ढांकणूं-ढांक' मूकां छइ-मूक्यां छे छइ-छे पगि-पगे-पगमा महामर्जादी-महाआप्या मेलशइ गुर-गुरु
मर्जादी कहि छइ सहू को-सऊ कोई श्रावक-श्रावक फीटी-मटी सीझइं घणु-घणो मसाण-मसाण फेडी-फेडी-मटाडी करई आण्यो हवडां-हमणां ऊघाडी कीधउं तावडइं-तावडे- लगारेक-लगारेक कीधी वांछइ । तापने लीधे तकताक-तक-लाग
घाल्यो
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