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लक्ष्मीधरना बीजा शब्दो सं० १४७१ )
क्रि०
हुई- हुइ-थइ
अछइ छे
सांभल्या पछी
थई
पामिउं - पाम्युं
कीव कीधो
रही
बोलिउं बोल्युं करु-करो
थाउं - थईए
सांभल्यउं-सांभळ्युं दीधी
अछउं छं छीए दुइ-होय छे
काढी काढे
लिउ-ल्यो - लई
जाओ
चौदमो अने पन्दरमो सैको
४६१
१६४ अर्दाग्वीरा ( पारसी साक्षरनी कृति
खाउं खाओ
ताणउ-ताणो बोलिउ – बोल्यो दीड दीठो
पडइ-पडे
क्रि०
दीघउ दीघो
करइ-करे
खाधउं - खाधुं
कीधी
गिउ गयो
ई-गई
घाली
बइसइ - बेसे छे
सुआरिउ-सूवाड्यो राइ - राखे छे फिरीनइ - फरीने बइठी-बेठी
उच्चरइ
| अछइ
पहुतु पहोंत्यो
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बी० श०
पछइ पछी
सातइ- साते
| बहनि - बेहेन -
भार्या
एतलउ-एतलुं
-एटलुं
जइमु
जिम
यम
जइम
स्त्री
• ऊचरे छे बीजा
| ऊभी
महाभारतर
महाभारे
}आल्यो
आव्यु आव्यः ) करई करे छे हुऊअ-हुआ-थयो कलत्र देषाडउं–देखाडुं भर्त्तार
कहइ-कहे छे
स्तंभ
| आव
जेम
आगलि
आगलइ)
बहन-बहन
बेन |
बी० श०
षण - खंड ( ? )
स्त्री प्रति
हाड
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तारां-तमारां
लंडी लोंडी
| हाथ
बेहू-बेऊ
जोडइया जोड्या
ऊषधी-औषधी
आदेश
इसुं एवं
आत्मा
| हेठ हेठे
आगळ जणाविवउं - जणा
ववानुं
स्तुति
घणी
| ऊपर-ऊपर
| सइरु - शरीर
| पुहरि - पहोर पालि- आजुबाजु
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