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________________ ४६० गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति । सोमसुंदरना १६३ सोमसुंदर--(संवत्-१४१५) बीजा शब्दो क्रि० बी० श० प्रामी-पामी–प्राप्त करी ठाकुर-ठाकुर-ठाकोर- धाडि-धाड एउ-हवो-थयो मालिक चूंकिं-थूकवडे मारी-मारी त्रिणि-त्रण मारीउ–मार्यो आफणी-आफर९लीधउं-लीधुं परस्परई-परस्पर - आपोआप-एनी मेळे जायु-जायो-जण्यो आषउ-आखोजु-जो पूछिउ-पूछ्यो क्षाति ख्याति तु-तो जाणिवु-जाणवो गाढेरी-गाढ-घणी बेटउ-बेटो प्रामिउ-पाम्यु देषाडी-देखाडी बतावी बाकडा-बा की बोकडा–बोकडा मूलगु-मूल-मुख्य-वडो ऊतरि-ऊतर पिरीआ–परिया वंशज पगरणि-पगरण-प्रसंग अहियासिया सह्याकेडई-केडे-पाछळ हवं-थयु भीषारी-भीखारी सोनीया सोनैया ई-मूई–मरी रोती रहइ नहीं रोती रहे केडां-केडे-पाछळ कडाहि-कडाई सम-सम विछूटी-बछूटी हवी-हुई-थई पोटलउ-पोटलो-पोटलं भइंसा-भंसा-पाडा आणी-आणी-लावी पाउ-धरिया-प-धार्या परहुणाना-परोणाना पाटकी-खाटकी तेडउ-तेड्यो अन्यात-अज्ञात छींक-छींक करउं छउं-करुं छु परहणउ-परोणो रूडां-रूडां देषउं-देखं छं टुंठउ-ठुठं विरूआं–विरूप-वरवां देषइ-देखे छे धराइ-धराय (कर्मणि) तूनारानउं–तूणारानु- -कद्रूपां परिणं-परण __ तूंणनारनु पणि-पण लांपळ-नांखो जमहर-जौहर यमगृह परही-परी-परे–दूर ऊपर नहीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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