________________
आमुख
वृद्धिवाळू
धारो येतो
संग्रह जोतां एम तो कल्पी शकाय एवं छे के संग्रहकारे जे शब्दने प्रथम लीधो छे तेनुं उच्चारण आद्य उच्चारण होय अने पछी लीधेलो शब्द ते, ए आद्य उच्चारण- बीजं उच्चारण होय.
१४ उक्त कल्पना असंगत न भासती होय तो ए बधो शब्दसंग्रह आ नीचे जणावेलां विविध उच्चारणोनो समर्थक छे एम कही शकाय : ऊपर जणावेला शब्दसंग्रहमां क्यांक 'ट' नो 'ठ,' 'प' नो 'व,'
. 'र' नो ‘ल,' 'क' नो 'ग,' 'व' नो 'ओ,'
तु इय्' नो 'ई' थयो छे. क्यांक 'अ' नो 'आ' परिणाम
के 'अय् ,' 'म' नो 'व,' 'श' नो ‘स' बोलायो छे. क्यांक 'न' नो 'तन,' 'क्ष्म' नो 'क्षम' एवं अन्तःस्वरवृद्धिवाळू उच्चारण थयुं छे, क्यांक 'ह' नो 'स,' 'ओ' नो 'उ' तथा अनुस्वारनो वधारो थयेलो छे. क्यांक 'ग' नो 'ज,' 'व' नो वधारो, 'र' नो वधारो, 'इ' नो 'ऐ' अने 'क्ष' नो 'स' थयेलो छे. क्यांक 'ग' नो 'घ,' 'ध' नो 'ह,' 'स' नो 'श,' 'प' नो 'व,' 'द' नो 'ध,' 'व' नो 'म' अने ह्रस्वनो दीर्घ थयेलो छे. वळी क्यांक 'य' नो 'ज,' 'वक्र' ना 'वंक' नी पेठे 'अर्च' नो 'अञ्च् ,' 'दर्श' नो 'दंस्' अने 'लछ्' नो ' लाञ्छ्' थयेलो छे. क्यांक न्यूनाक्षरता आवी गई छे. क्यांक ‘स्फ' नो ‘स्म,' 'त' नो 'ध,' 'क' नो 'ख,' 'च' नो 'छ,' 'ज' अने 'झ,' 'श' नो 'च' तथा 'श' 'स' 'क्ष' अने 'ल' नो वधारो थयेलो छे. क्यांक 'ध' नो 'ज,' 'क्ष' नो 'छ,' 'द' नो 'त,' 'ए' नो 'ऐ,' 'क' नो 'च' थयेलो छे. क्यांक
आद्य 'व' लोप पामी शेष 'ऋ' नो 'इ' थई 'ए' थयेलो छे. क्यांक 'क' नो 'च,' 'वे' नो 'ऊ,' 'च' नो 'ज' तथा 'छ,' 'ए' नो 'हे,' 'त' नो 'द' थयेलो छे. क्यांक '' वधी गयो छे, क्यांक 'ष"
. अने,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org