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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
१० शुद्ध उच्चारणोना प्रवर्तन माटे शिक्षाओ रचाई, स्वरोना भेदप्रेमेदो
२२ व्याकरण शास्त्रमां ए, ऐ, ओ, औ सिवायना तमाम स्वरोना अढार अढार भेद बतावेला छे अने ए, ऐ, ओ, औना बार बार भेद कहेला छे :
हस्व-अ
२०
दीर्घ
--आ
लुत
-अ ३ ( त्रणनो अंक त्रिमात्रिक उच्चारणनो द्योतक छे )
१ ह्रस्व अ उदात्त
२ ह्रस्व अ अनुदात्त
३ ह्रस्व अ स्वरित
४ दीर्घ आ उदात्त
५ दीर्घ आ अनुदात्त
६ दीर्घ आ स्वरित
७ लुत अ ३ उदात्त
८ त अ ३ अनुदात्त
९ त अ ३ स्वरित
ह्रस्व अ उदात्त सानुनासिक अने निरनुनासिक
ह्रस्व अ अनुदात्त
हस्व अ स्वरित
23
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एज प्रमाणे दीर्घ अने लुत 'अ' ना पण सानुनासिक अने निरनुनासिक एवा बे बे प्रकार समझवा.
आ रीते एक 'अ' नां ज अढार उच्चारणो थाय छे. ए ज प्रमाणे 'इ' वगेरे धा स्वरोनां अढार अढार उच्चारणो समझवानां छे.
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'ए' वगेरे चार स्वरोनुं 'ह्रस्व ' उच्चारण, पाणिनि वगेरे संस्कृत वैयाकरणोए स्वीकार्य नथी तेथी तेमना प्रत्येकना बार बार प्रकार ज थाय छे.
आ प्रमाणे स्वरोनां अनेकविध उच्चारणो थाय छे. ए दरेक उच्चारण अर्थवाहक छेए ध्यानमा राखवानुं छे.
वर्तमानमां तो मात्र भेदो ज गणाववाना रहे छे परंतु ते प्रत्येक भेदनुं शुद्ध उच्चारण करवुं के शोधी काढवुं अने तेनी अर्थवाहकता समझवानुं लगभग अगम्य जेवुं जणाय छे.
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