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________________ आमुख रीते साथे आवतां तेम, उच्चारण बदली जाय, संयुक्त व्यंजन- उच्चारण __ करवा जतां आगळ के बच्चे गमे ते स्वर उमेराई जाय अवेस्तानुं उच्चारण तथा 'देव' बोलवा जतां 'दएवं' एवं बोलाई जाय-आवां अनेकानेक कारणोने लीधे नीपजतां भिन्न भिन्न उच्चारणो ज समय जतां भाषामेदना प्रवाहने जन्मावे छे. T ९ 'अमुक प्रकारनां ज उच्चारणो शुद्ध छे अने एथी ऊलटां अशुद्ध छे' एवु प्रामाणिकपणे मानता अने ए ज प्रमाणे ना कल्पना वर्तता एवा भाषासंस्कृतिना केटलाक प्रेमीओ प्रमाणे शुद्ध उच्चा Pat पोते स्वीकारेलां शुद्ध उच्चारणोनो ज प्रचार करवा प्रयत्न छतां पोते अने पोते कल्पेलां अशुद्ध उच्चारणोनो समूळ कल्पेला अशुद्ध ध्वंस करवा प्रबळ प्रयत्न सेवे छतां य ते अशुद्ध । उच्चारणो उक्त कारणोने लीधे समाजमांथी सर्वथा भुसावानां नथी अश्राव्य थयां नथी, थतां नथी तेम थवानां पण नयी ज. उस्मारणा - २० 'स्त्री' नुं 'इस्त्री, 'स्टेशन' नुं 'इस्टेशन,' 'स्थिति' नुं 'इस्थिति' 'भार्या'नुं 'भारजा' वगेरे उच्चारणो सुप्रतीत छ । २१ संस्कृत उच्चारण. एषाम ... प्रति ... ... ... ... ... आवेस्तिक उच्चारण. अअषाम अमेषाम् पइति पेरेथु बएषज स्रएश्त ... . भेषज ... ... श्रेष्ठ ... ... वगेरे अनेक उदाहरणो प्रतीत छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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