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बारमा अने तेरमा सैकानुं पद्य
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कहिउ सयलु वि संझवुत्तंतु तो जाओ वररुइ विमणु पुण वि मंतिच्छिदाई मग्गइ
ओलग्गइ मंतिघर-दासी सा वि घरवत्त जंपइ तहिं किज्जइ भोअणु-निवह सिरियय परिणयत्थु । तह पक्खर-सन्नाह-गुड-असिपमुहाउहसथु ॥ ३८॥
दवि ल अ डिंभरुवाण
सो पाढइ को वि नहु मुणइ एउ जं मंति करिसइ मारिविणु नंदु निवु
नंदरजि सिरियओ ठवेसइ तिग–चच्चर-चउहट्टइहि एउ पढ़तई ताई । नंदिण बाहिं निग्गयण अन्नहिं दिअहिं सुआई ॥ ४० ॥ पुरिसु पेसिवि निवइ सवियक्कु
जोआवइ मंतिघरु कहिउ तेण किज्जंत आउहु ता मंतीहि पणमिअह
कुविओ नंदु जोअइ न सम्मुहु घरि गउ मंति भणेइ तउ सिरिया ! जइ महु पुत्तु । तुहुं नंदह पडिहारु तउ करहि महारउं वुत्तु ॥ ४१॥ नंदु कुद्धऊ तेण मह सीसु,
तुहु खंडि पणमंतयह
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