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बारमा अने तेरमा सैकानुं पद्य
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जेसु पंच वि एयई, कयबहुखेयई, खिलहिं पहु ! तसु कउ कुसलु ॥ २५ ॥
स्थूलिभद्रकथा तो विचिंतइ मंति सगडालु निवकोसु निहिउ सयलु अन्नदिअहि विन्नवइ नरवरु एयस्स किं देह पहु।
दिवसि दिवसि इत्तिउ धणुक्कर सो जंपइ तइ वन्निययो तिणि एयह धणु देमि । मंति भणइ परकव्वचरण पढइ तेण सलहेमि ॥३१॥
नंदु जंपइ पढइ परकव्व कह एस वररुइ सुकइ कहइ मंति मह धूय सत्त वि
एयाई कव्वाइं पहु ! पढई बालाउ हुंत वि तत्थ तुम्ह नरनाह जइ मणि वट्टइ संदेहु । ताउ पढंति य कोउगिण ता तुम्हे निसुणेहु ॥ ३२ ॥
जवणियंतरि ताउ ठवियाउ
तो वररुइ आगइउ थुणइ नंदु तं ताउ निसुणहि चक्कम्मि तम्मि य कमिण
कव्व सव्व सव्वाउ पभणहिं
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