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बारमा अने तेरमा सैकानुं पद्य ३६५ कुइ धन्नु जुआणउ विअसिअदीहरनयणिए । माणिज्जइ तरुणिए विन्भमविलसियवयणिए ॥ ३९ ॥
(छंद-विभ्रमविलसितवदन ) एल्यु करिमि भणि काइं प्रिउ ! न गणइ लग्गी पाइ । छड्डेविणु हउं मुक्की अवदोहय जिम्व किर गावि ॥ ४६॥
(छंद-अपदोहक) कित्तिओ वण्णउं मयणु किअउ जिण सो वि नारायणु । तहु गोवालीअणहु घणपिम्मविलासपरायणु ॥ ४६॥
(छंद-प्रेमविलास) जलइ जइ वि कुसुमलयाहरु तवइ चंदु जह गिम्हि दिवायरु । तु वि ईसाभरपरितरलिअ पिअसहि ! वयणु न मन्नइ बालिअ
॥५७॥ (छंद-कुसुमलतागृह) परनरमुहषेच्छणविरयए पयनहमणिपडिबिंबिअ जि परि । दहमुहमुहपंति पलोइआ सीअए भय-विम्हयहासकरि ॥ ५६ ॥
(छंद-मुखपङ्क्ति) (राजा) करवालपहारिण उच्छलिल करिसिरमुत्ताहलरयणमाला । रेहइ समरंगणि जयसिरिए उक्खिविअ नाइ सयंवरमाला ॥ ५८॥
(छंद-रत्नमाला) निअवि वयणु तहिं विब्भमपओ। नं विहिण खित्तु दहि पंकओ
॥६०॥ (छंद-पंकज) गजइ घणमाला घण घडहड । नं मयणनिवइणो कुंजरघड ॥६१॥
(छंद-कुंजर)
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