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बारमा अने तेरमा सैकानुं पद्य ३५९ मई भणिअउ बलिराय ! तुहुं, केहउ मग्गण एहु । जेहु तेहु नवि होइ वढ ! सई नारायणु एहु ॥ ४४ ॥ तिलहं तिलत्तणु ताउं पर जाउं न नेह गलंति । नेहि पणइ ते जि तिल तिल फिट्टवि खल होति ॥ ४५ ॥ जेवडु अंतर रावण-रामहं तेवडु अंतर पट्टण-गामहं ॥ ४६॥ बंभ ! ते विरला के वि नर जे सव्वंग छइल। जे वंका ते वंचयर जे उज्जुअ ते बइल्ल ॥ ४७ ॥ महु कंतहो गुठ्ठिअहो कउ झुपडा बलति ।
अह रिउरुहिरें उल्हवइ अह अप्पणे न भंति ॥ ४८ ॥ पियसंगमि कउ निद्दडी पिअहो परोक्खहो केम्व । मई बिन्नि वि विन्नासिआ निद्द न एम्ब न तेम्व ॥ ४९ ॥ कंतु जु सीहहो उवमिअइ तं महु खंडिउ माणु । सीहु निरक्खय गय हणइ पिउ पयरक्ख–समाणु ॥ ५० ॥ चंचलु जीविउ ध्रुवु मरणु पिअ ! रूसिजइ काई । होसइ दिअहा रूसणा दिव्वई वरिससयाइं ॥ ५१ ॥ माणि पणइ जइ न तणु तो देसडा चइज्ज । मा दुजणकरपल्लवेहिं दंसिज्जंतु भमिज ॥ ५२ ॥ किर खाइ न पिअइ न वि दवइ धम्मि न वेच्चइ रूअडउ । इह किवणु न जाणइ जह जमहो खणेण पहुच्चइ दूअडउ ॥५३॥ एत्तहे मेह पिअंति जलु एत्तहे वडवानल आवट्टइ । पेक्खु गहीरिम सायरहो एक वि कणि नाहिं ओहट्टइ ।। ५४ ॥
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