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बारमा अने तेरमा सैकानुं पद्य सुपुरिस कंगुहे अणुहरहिं भण कजें कवणेण । जिवँ जिवें वड्डतणु लहहिं तिवँ तिव नवहिं सिरेण ॥ २२ ॥ जइ स सणेही तो मुइअ अह जीवइ निन्नेह । बिहिं वि पयारेहिं गइअ धण किं गजहि खल मेह ! ॥ २३ ॥ महु हिअउं तई, ताए तुहुं स वि अन्ने वि नडिजइ । पिअ! काई करउं हउं, काई तुहुं, मच्छे मच्छु गिलिजइ ॥२४॥ तुम्हेहिं अम्हेहिं जं किअउं दिट्ठउं बहुअजणेण । तं तेवडउं समर-भरु निजिउ एकखणेण ॥२५॥ अम्हे थोवा रिउ बहुअ कायर एम्ब भणंति । मुद्धि ! निहालहि गयणतलु कइ जण जोण्ह करंति ॥२६॥ बप्पीहा ! पिउ पिउ भणवि कित्तिउ रुअहि हयास !। तुह जलि महु पुणु वल्लहइ बिहुं वि न पूरिअ आस ॥२७॥ बप्पीहा ! काई बोल्लिएण निग्विण ! वारइवार । सायरि भरिअइ विमलजलि लहहि न एक इ धार ॥ २८॥ बलि अब्भत्थणि महुमहणु लहुहूआ सो इ।। जइ इच्छह वड्डत्तणउं, देहु, म मग्गहु को इ ॥ २९॥ भमरा एत्थु वि लिंबडइ के वि दियहडा विलंबु । घणपत्तलु छायाबहुलु फुलइ जाम कयंबु ॥ ३०॥ दिअहा जंति झडप्पडहिं पडहिं मणोरह पच्छि । जं अच्छड़ तं माणिअइ होसइ करतु म अच्छि ॥ ३१॥ संता भोग जु परिहरइ तसु कंतहो बलि कीसु । तसु दइवेण वि मुंडियउं जसु खलिहडउं सीसु ॥ ३२॥
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