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________________ धातुमां गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति ए ज न्याय मानवसमाजनी भाषाना घडतर माटे पण घटमान छे. मानवसमाज पोताना बाल्यकाळमां हतो त्यारे अस्पष्ट 'शब्द'चें मूळ शब्दोनो किकियारीओनो, मूक मानवनी पेठे शारीरिक "शप् आक्रोशे" " निशानीओनो अने विशेष स्पष्ट व्यवहार माटे चित्रोनो - य उपयोग करतो करतो प्रौढ वय पामी स्पष्ट उच्चारणना युगमां आव्यो त्यारथी भाषानी शरूआत थई कहेवाय. स्पष्ट उच्चारणर्नु ज नाम भाषा. 'भाष्' धातुनो मूळ अर्थ · व्यक्त वाणी' छे. ५ बार गाउए बोली बदलाय' ए न्याये जोईए तो भाषाओनो . आरोवारो नहीं जणाय. भाषाभेदनो आ प्रवाह भाषाभेदनां सनातन छे. स्पष्टरीते जुदां जुदां नामपूर्वक भाषा ना निमित्तो अने। भाषाना भेदप्रभेदो भेदनो ऊगम अने तेनो प्रचार थतां भले यगो * वीत्या होय परंतु स्पष्ट भाषानां बीज ब्यारथी रोपायां, भाषाभेदनां बीज पण त्यारथी नखायां भासे छे. ६ भाषाभेदना निमित्तो सर्वकाळे सदा संभवे एवां छे : भौगोलिक परिस्थिति, ऋतुओनी अनियमितता, शीततार्नु भाषाभेदनां निमित्तो __ आधिक्य, उष्णतानी प्रबळता, राज्योनी क्रांति, अन्य अन्य भाषाओनो संपर्क, स्वच्छ-शुद्धभाषाना आग्रहनी खामी, शरीरनुं अने उच्चारणनां साधनोनी रचनानुं वैविध्य, बोलवानां स्थानो, १४ वैयाकरणोए 'शब्द' पदनुं पृथक्करण करीने एम जणाव्युं छे के तेमां 'शप' प्रकृति छे अने 'द' प्रत्यय छे. 'शप' धातुनो अर्थ 'आक्रोश' छे. 'शब्द' पदना मूळमां रहेलो 'शप्' आ किकियारीओनो संवादक जणाय छे. (सिद्धहेमचंद्र अध्याय ४-२-२३७) १५ “भाषि व्यक्तायां वाचि"-सिद्धहेमधातुसंग्रह तथा पाणिनीय धातुसंग्रह. १६ “सर्वेषां कारणवशात् कार्यो भाषाविपर्ययः। माहात्म्यस्य परिभ्रंशं मदस्यातिशयं तथा॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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