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________________ ३३२ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति हे० ) जेम ' हुं' वगेरे पंचमीने सूचवे छे तेम 'तस्' प्रत्यय पण पंचमीनो द्योतक छे एनां पण ग्रामतः, नगरतः, ततः कुतः वगेरे उदाहरणो जाणतां छे. आ स्थळे ' हुं + तस्' ए बने पंचमीसूचकोने साथे राखीए तो 'हुंतो' एवो एक अखंड शब्द नीपजे अथवा एकवचन 'हु' अने 'तस्' द्वारा आवतो प्राकृत 'तो' ए बन्नेने जोडीए तो पण ' हुत्तो ' द्वारा 'हुंतो' पद आत्रे. आ रीते नीपजता ' हुंतो' ना 'उ' नुं दीर्घीकरण तथा 'ओ' नुं ह्रस्वीकरण करी ते ' हुंतो' द्वारा प्रस्तुत ' हूंतु 'ने साधवामां लेश पण दूषण नथी. अर्थघटना बराबर रहे छे अने अक्षररचना पण खांडी थती नथी. सरखामणी माटे जणाववुं जरूरी छे के प्राकृतमां पंचमी बहुवचन माटे एक 'सुंतो' प्रत्यय छे एम वररुचि अने हेमचंद्र बन्ने कहे छे. "भ्यसो हिंतो सुंतो " (प्रा० प्र० परि० ५ सू० ७ तथा ८-३-९ हेम० ) प्रस्तुत 'सुंतो' अने उक्त रोते साधेलो तो' ए बन्ने बच्चे विशेष समानता छे, 'स' अने 'ह' नो जे भेद छे ते नगण्य छे. अहीं एक वात खास ध्यानमा राखवानी छे अने ते ए के सं० 'भू' अने प्रा० 'हू' धातुनुं वर्तमान कृदंत 'हंत' के 'होत' बने छे अने ते द्वारा हूंतो इंतओ, होंतो के होंतओ वगेरे पदो आवेलां छे. प्रस्तुत पंचमीसूचक ‘ढुंतो' अने आ वर्तमान कृदंतरूप 'हूंतो ' ए बे वच्चे केवळ अक्षरसाम्य छे, अर्थनुं साम्य लेश पण नथी, एथी जेओ वर्तमानकृदंत 'तो' साथै पंचमीद्योतक 'हुंतो 'नो संबंध कल्पे छे तेओ केवळ अक्षरसाम्यने अवलंबेला छे. हेमचंद्रे आपला 'जहां होंतउ आगदो' ' तहां होंत आगदो' ' कहां होंतउ आगदो' ( ८-४-३५५ ) वगैरे प्रयोगोमां पण 'जहां '' तहां' अने 'कहां 'नो अंतिम 'हां' ज पंचमीनो सूचक छे अने ' होंतउ' वर्तमान कृदंत छे ए ध्यानमा रहे. प्राकृत द्वयाश्रय सर्ग ८, श्लोक २६ मां हेमचंद्रे " जो जहां होतउ सो तहां " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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