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________________ बारमो अने तेरमो सैको छोडवुं - मूकी देवुं ' - एवा विशाल अर्थमां आवी गयो छे. कुमारपालचरित्रमां ' छड्डिअ ' नो अर्थ आपतां टीकाकार पूर्णकलश कहे छे के "छर्दितम्वान्तम्-त्यक्तम्" इत्यर्थः (सर्ग ३, श्लो० ९ ) अर्थात् ए स्थळे ' छड्ड' धातु 'छांडवा 'ना अर्थमां वपरायेलो छे, एथी 'छर्द' ऊपरथी ' छड्ड' नी व्युत्पत्ति करवी विशेष उचित छे. आ कृतिमां 'मेल्हेसिउ ' मेलशो - क्रियापदमां वपरायेलो 'मेल्ह ' धातु पण 'तजवा' ना अर्थनो छे. हेमचंद्रे आ धातुने पण 'मुचू' नो पर्याय को छे. 'मेल्ह ' धातु देश्य छे. संस्कृत धातुसंग्रहमां 'मुच्' धातुनो पर्याय अने प्रस्तुत 'मेल्ह' ने मळतो आवे एवो कोई धातु हयात नथी. १२९ बत्रीशमी कडीमां 'मेल्हावीउ '' मेळाव्यो' एवं पद आवे छे. तेनुं मूल सं० " मिल-श्लेषणे" (छट्टो गण ) धातुमां छे. मिलन, मेलाप, संमेलन, मळवुं वगैरे शब्दो ए ' मिल' ऊपरथी आपेला छे. 'देजिडं' क्रियापद मूळे ' देजिहु' छे अने ते ऊपरथी अहीं 'देजिउं' नोंघेलुं छे. व्याकरणना नियम प्रमाणे दा + अ + ज्ज + हु= दाएजेहु - देहूं- देजिहुं- देजिउं- देजिउ-देजो. आ क्रियापदमां बीजा पुरुष बहुवचनना 'हु' ऊपरथी 'हुं' द्वारा 'उं' थयेलो छे. ३२७ 'देसु' मां व्याकरणोक्त रीते दा + अ + स + हुं दाएसहुं-देसहुंदेसु - देशुं. अहीं प्रथम पुरुष बहुवचनना 'हुं' द्वारा 'उ' आवेलो छे. 'बइसारीउ' एटले 'बेसाड्यो' के 'बेसार्यो' -उपवेशितः - ' उप ' साथैना ' विश' ने प्रेरणासूचक 'आर' लगाडी तेनुं भूतकृदंत करीए तो ' उवविसारिओ' थाय. एक साथे बे ' व ' 'बेसारखं 'नी व्युत्पत्ति आतां उच्चारण करनारे ' उववि' ने उच्चारण क. जे पदमां एक करतां बधारे समान स्वरो के For Private & Personal Use Only Jain Education International बदले 'बइ व्यंजनो आवे www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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