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(२) धर्मसूरि- जंबूचरिय—
नमेव नमी
चवीसह - चोवीशे
–सामिहिं तणउं-स्वामितणुं - स्वामीनुं
रयं रचुं
वषाणउं - वखाणुं जु-जे
पूछीई-पूछाय छे
नारिहि तण - नारीतणे
बाप तण - बापने
चवेसि - चवशे
बारमो अने तेरमो सैको
होसइ ) होशे- थशे होसिइ S ऊठिउ-ऊठ्यो
}
नाचेई नाचे छे
आविउ-आव्यो
सुमिण - सोनुं - स्वप्न माईमायो
जायउ - जायो-थयो
- वाघे
अठवरीसउ-आठ वरसनो हूउ-हूयो-थयो गुरुपासि- गुरुपासे
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तासु तणइ-तस तणे - तेने
पहुत्तओ
पहोत्यो
पहुतु
पहूतु
चालिउचाल्यो
दह-वांदवा माटे
बंदिउ - वांदी
सेणीयं -श्रेणिके-श्रेणिकवडे, देजिउं-देजो
तम्हि तमे
अम्हि अमे
इसउं - इस्युं - एवं
करेशउं - करशुं परणी - परणी - परणीने
नीछइ - निधें
लेसिउं -लेशुं परिणेवउ-परणं
मन्त्रीउ - मान्युं
आठइ-आठे
एकवार - एकवार परिणीय - परणी
घरि-घरे
आवीउ आव्यो
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