________________
३०६
(१) सोमप्रभ -
अप्पिउ-आप्युं
सवड - सवड
संचरंत संचरतुं
गहिर—घेरुं
मोरंति - मोरे - मोडे छे-मरडे छे
पसन्निअ - प्रसन्ना
संझाइ - सांजे
आणेवि आणी
जोवइ जोअड
} जुए छे
गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
तेरमा सैकाना शब्दो
घरवत्त-घरवात
पक्खर - पाखर
करिसइ-करशे
जो आवs - जोवावे छे-जोवरावे छे
गउ-गयो
करहि-करे
महारउ - मारुं
खंड-खंडे
ढक्क ढांक्युं
Jain Education International
जगड - जगडे छे
वार - बार - बारणं - द्वारप्रवेश
दीणार -- दीनार ( फारसी )
संबर - साबर
जंत - जंत्र
उच्छलिवि-ऊछळीने
करडं-करूं
खाईसु-खाईश लिप्पिहिसि - लेपाईश
खदु - खाधुं
तक्खणि- टांकणे - बखत सर
हक्कारेवि-हाकरी - साकरी - बोलावी
जलूअ - जळो
सहुं- सउं - साथे
कवडिइं-कोडीए
पिअइ-पीए छे
कूवि कूत्रे
तुझ्इ-तुट्ये - त्रुट्ये
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org