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बारमो अने तेरमो सैको
२६७ चालु भाषामां कर्तरिप्रयोगनो विशेष प्रचार छे अने कर्मणिप्रयोगनो प्रचार विरल ले. परंतु भूतकाळमां कतरिने बदले कर्मणिनो विशेष व्यवहार छे. रामे (तृ० वि०) रावण (प्र० वि०) हण्यो, अमें ( तृ० वि० ) पुस्तक (प्र० वि०) लख्यु, तेओए (तृ० वि०) चोपडी (प्र० वि० ) वांची. आ बधा कर्मणिप्रयोगो छे. 'रामवडे रावण हणायो,' 'अमारा वडे पुस्तक लखायुं,' 'तेओ बड़े चोपडी वंचाई' आ प्रयोगो पण कर्मणि छे, मात्र बोलवानी रीतनो भेद __२८३ चालु भाषामां भूतकाळ माटे विशेषे करीने कर्मणिप्रयोगो रह्या छे, कतरिप्रयोगो प्रमाणमां घणा ओछा छे तेनु शुं कारण ? आ संबंधे विशेष विचारतां एम जणाय छे के, संस्कृतादि प्राचीन भाषाओमां भूतकाळने दर्शावनारा कर्तृसूचक प्रत्ययो छे अने कर्मसूचक वा भावसूचक भूतकृदंतो पण छे : 'रामे रावण हण्यो' एम कहेवा माटे संस्कृतमां रामः रावणम् अहन् अवधीत् के जघान (कर्तरिप्रयोग) एम बोलाय अने रामेण रावणो हतः (कर्मणिप्रयोग) एम पण बोलाय, त्यारे भाषामां भूतकाळने माटे कोई खास कर्तृसूचक प्रत्ययो नथी पण तेने बदले विशेषे करीने कर्म के भावना सूचक भूतकृदंतो द्वारा नीपजेलां क्रियापदो वपराय छे. 'हन्' नुं कर्मणि भूतकृदंत प्रा० 'हणिओ' थाय अने भाषामा क्रियापद तरीके तेनुं 'हण्यो' एवं उच्चारण थाय. कर्मणिभूतकृ. साथे आवतो कर्ता त्रीजी विभक्तिमां ज होय, ए जोतां भाषामां भूतकाळने माटे कर्तरिप्रयोगने तद्दन अल्प अवकाश छे. हा, ज्यां संस्कृतादि प्राचीन भाषाओमां भूतकाळ माटे कर्तरिभूतकृ. पण वपराय छे त्यां भाषामां पण ए ज रीते व्यवहार छे अने एवे स्थळे भाषामां पण भूतकाळमां कर्तरिप्रयोगनो प्रचार छ : रामः गतः-रामो गओ-राम गयो. पण आ जातनां कर्तरिभूतकृ० घणां विरल छे. अर्थात् भाषामां भूतकाळ माटे कर्मणिभूतकृ० द्वारा नीपजेलां क्रियापदोना प्रयोगोनी अधिकता होवाथी भूतकाळमां कर्तरिप्रयोगने घणो ओछो अवकाश छे अने आम छे तेथी भाषामां भूतकाळ माटे कर्मणि के भावे प्रयोगोनो विशेष प्रचार छे. 'राम गयो' एम कहेवा माटे संस्कृतादिभाषाओमां 'रामः अगच्छत् , अगमत् , जागम, गतः' एम बोलाय अने 'रामेण गतम् ' एम पण बोलाय त्यारे भाषामां तो एकलं 'राम गयो' एम ज बोलाय ए ध्यानमा रहे.
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