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________________ २५० गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति 'गह्वर' नो अर्थ “पोतानी मेळे थयेलो मोटो खाडो' के 'गुफा' थाय छे. “ अखातबिले तु गह्वरं गुहा" ( अभिधान० कां० ४-श्लो० ९९ ) गह्वर' नो उक्त अर्थ अने 'गभारा' नो 'घरनी अंदरनो भाग' ए अर्थ; ए बे वच्चे लेश पण साम्य नथी. खरी रीते 'गर्भागार' शब्द ऊपरथी ‘गभारो' शब्द आवेलो छे. जैनमंदिरमा ज्यां जिनमूर्तिओने प्रतिष्ठित करेली होय छे ते स्थळy नाम ‘गभारो' छे. केटलाक लोको ‘गभारो' ने बदले 'गंभारो' उच्चारण पण करे छे. 'गर्भागार' शब्दनी व्युत्पत्ति बतावतां आचार्य हेमचंद्र कहे छे के “अगारस्य गर्भो गर्भागारम्” “गर्भागारोऽपवरको वासौकः शयनास्पदम् ( अभिधानचि० कां० ४-श्लो० ६१) अमरकोशमां पण 'गर्भागार' शब्दने नोंघेलो छे. ( पुरवर्ग कां० २-श्लो० ८) त्यां अमरनो टीकाकार कहे छे के 'गर्भागार' “वासगृह' द्वे गृहमध्यभागस्य ‘माजघर' इति प्रसिद्धस्य" --(पृ० ७४) ‘प्रवयण' के 'प्रतोदन' ऊपरथी ‘परोणो' शब्द आवेलो छ अवयण-परवयण–परउयण-परोयण–परोणो. आचार्य हेमचंद्र कहे छे के “प्रतोदस्तु प्रवयणं प्राजनं तोत्र-तोदने (अभि० कां०३-श्लो० ५५७) अमरकोशमां पण एनी नोंध छ : (वैश्य-वर्ग कां० २ श्लो० १२ ) त्यां अमरनो टीकाकार कहे छे के “प्राजनं तोदनं तोत्रं त्रीणि वृषादेः ताडनोपयोगिनः तोत्रस्य आसूड चाबूक इति ख्यातस्य” (पृ० २१२). ___ 'गुजराती भाषानुं बृहद् व्याकरण' ना समर्थ लेखक एक स्थळे (बृहद् व्याकरण-पृ०१३४ ) " दीसि अगासि तावडि दाझइ” एवं ( कान्ह० खंड-१ पवाडु-१५३ ) वाक्य आपे छे. २७४ “ गर्भागारं वासगृहम् ”—(अमरकोश ) २७५ " प्राजनं तोदनं तोत्रम्”-( अमरकोश) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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