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बारमो अने तेरमो सैको
२३७ मुहु-मों-म्हों
भंडार-भंडार धण-धण
हारु-हार आइउ-आयो-आव्यो
घल्लिर–घाल्यो कुक्कडि-कूकडी
तिणु-तृण रडिअ-रडी (बोली) निट्ठ-नेठ–नेटु ( अंत) इण-एणे
अंसु-आंसु कारणि-कारणे
पलुट्टउ-पलुट्यो,-(नीकळी पड्योचुंबिजइ--चुंबीजे-चुंबाय छे.
दडी पड्यो)
बारमा सैकानी त्रणे कृतिओनां केटलांक वाक्यो अने केटलाक शब्दो ऊपर जणाव्या छे अने ते वाक्यो अने शब्दोनी सामे आजनुं गुजराती मूक्युं छे. ए ऊपरथी बारमा सैकानी अने आजनी गुजराती वच्चे उद्गग्यमान-उद्गततानो जे संबंध ऊपर बताव्यो छे ते वधारेमा वधारे स्पष्ट थाय एम छे. वाक्यो अने शब्दोना वलणने ध्यानपूर्वक जोवाथी बारमा सैकानी अभयदेव, वादिदेवसूरि अने हेमचंद्रनी मातृभाषाने ऊगती गुजराती कहेवामां जरा पण वांधो जणातो नथी अने ए हकीकत दीवा जेवी चोक्खी छे माटे ए विशे विशेष लखवानी अगत्य पण नथी.
८८ अभयदेव वगैरेनी उक्त त्रण कृतिओमां वपरायेलां प्रत्ययो अने सर्वनामो तथा अव्यय वगैरेने लगतो विचार करीए : अभयदेव-वादिदेव- नरजातिनां अने नान्यतरजातिनां नामोने हेमचंद्रे वापरेली
o माटे प्रथमाना अने द्वितीयाना एकवचनमां 'उ' अने तेनी चर्चा प्रत्यय विशेष वपरायेलो छे.
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