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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
२ आचार्य हेमचन्द्रने व्याकरणनी दृष्टिए गुजरातीना पाणिनि समझुं हेमचंद्र गुजरा- छु अने साहित्यिक काव्यनी दृष्टिए गुजरातीनातीना पाणिनि गुजराती साहित्यना-आदिम वाल्मीकि पण तेओ अने वाल्मीकि छे एथी तेमनो समय आ निबंधमा पूर्वावधिरूप छे अने उत्तर मर्यादानी दृष्टिए उपाध्याय यशोविजयजी के कविराज प्रेमानंद सुधी मारे पहोंचवानुं छे.
ते बे समयना वचगाळामां थयेला जैन, वैदिक तथा पारसी अने मुसलमान साहित्यकारोनी गुजराती पद्य वा गद्य कृतिओने तपासवानी
___ तेमनी ते ते कृतिओ तो पारविनानी छे एटले ते ते सैकावार मळती एक बे के त्रण कृतिओने ज तपासीने ते द्वारा उक्त परिवर्तनोनी रेखा दोरवा धारी छे. प्रसंग पडतां गमे ते कविनी त्रणथी वधारे कृतिओनो पण उपयोग करीश. ___ पाठोनी चोक्कसाई माटे यथाप्राप्त हस्तलिखित प्रतिओमा आवेला पाठोनो उपयोग करनार छु अने ज्यां मुद्रित पाठ वहेम पडे तेवा नहीं होय त्यां तेमनो पण उतारो टांकीश. निबंधनो विषयानुक्रम आ प्रमाणे गोठन्यो छे:
१ आमुख निबंधनो
२ बारमो अने तेरमो सैको क्रम
३ चौदमो अने पंदरमो सैको ४ सोळमो अने सत्तरमो सैको ५ अढारमो सैको अने उपसंहार
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