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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
उपक्रम
(बारमा सैकाथी अढारमा सैकासुधी)
१ आमुख
श्रीमहावीराय नमः प्रणम्य परमात्मानं सकलान् शाब्दिकांस्तथा ।
वक्ष्ये हैमानुसारेण गुर्जरीवाच उत्क्रमम् ॥ १ प्रस्तुत निबन्धमा विक्रमना बारमा सैकाथी लईने अढारमा सैका
सुधीना गुजराती पद्य अने गद्य साहित्यनी भाषानुं
- व्याकरणनी दृष्टिए अवलोकन करवानुं छे. एटले के आचार्य हेमचन्द्रे पोताना आठमा अध्यायना चोथा पादमां अपभ्रंशना मथाळा नीचे जे जे नियमो आप्या छे ते नियमो त्यार पछीना साहित्यमां कया कया प्रकारे परिवर्तन पाम्या छे-नामरूप अने विशेषणरूप शब्दोर्नु, नामोने अने धातुओने लगती विभक्तिओनुं, हेत्वर्थकृदंत, संबंधक भूतकृदंत, वर्तमानकृदंत, भूतकृदंत, भविष्यत्कृदंत अने कर्तृसूचककृदंतने लगता प्रत्ययो, अव्ययोनुं तथा मूळ धातुओनुं क्यां केवु परिवर्तन भ्युं छे अने शब्दोमां पण प्राकृत शब्दोमुं, संस्कृत शब्दोचें, देश्य शब्दोनुं अने अन्य भाषाना शब्दोनुं चलण क्यां केवी रीते थतुं आव्युं छे ए बताववा साथे ए बधुं स्पष्टपणे ध्यानमां आवे ए सारु ते ते समयना गुजराती साहित्यमांथी सविस्तर उदाहरणो पण टांकी बताववानां छे.
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