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________________ ભાગવતનો સંદેશ (२१०) परम पूज्य गुरुजीके चरणों में डॉ. के. पी. अस्नाणी सर्व मंगलम् में - बिराजे न्यारा, वही देव मानव हे गुरुदेव हमारा । हरहाल में मुस्कुराते हैं रहते, करुणामय नैनों से अमृत वरसाते, प्रभुदर्शन के खातिर जो साधक तरसते, बनके उनके राहबर लगाते हैं रस्ते, निरंतर है बहती जिधर ज्ञान धारा, वही देव मानव हे गुरुदेव हमारा । उत्तम ज्ञान ग्रंथों का सबको सुनाए, अगम गाँठ आतम की पलमें सुल्जाए, भूले हए को मारग बताए, हटाके अंधेरा वे प्रकाश लाए, दुःखी दीन दुर्बल को देते सहारा, वही देव मानव हे गुरुदेव हमारा । गुरुजी ने आतम का मारग दिखाया, हुआ मोहमाया के पदका का सकया, बिगर 'ध्यान' के मैंने जीवन बिताया, मिला था जो हीरा मुफ्त में गँवाया, अभी तेरे जीवन का जग गया सितारा, वही देव मानव हे गुरुदेव हमारा । परम पूज्य भानु विजयजी मुनिवर, ज्ञान और वैराग्य भक्ति के सागर, उन्हींके शरण में समर्पण करे जो. दिखाए हुए रास्ते पर चले जो, सकल उसका जीवन हो जाएगा सारा, वही देव मानव हे गुरुदेव हमारा । पोस्ट ओसिपासे, डासा.लि.नासsisI-3८५५३५ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004651
Book TitleBhagavatno Sandesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanuvijay
PublisherSarvamangalam Ashram Sagodiya
Publication Year2009
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Spiritual
File Size11 MB
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