________________
शतक ३७ तेइन्द्रियमहायुग्मशतक पृ० ३५०. कृतयुग्म कृतयुग्मरूप तेइन्द्रियोनो क्याथी आवी उत्पाद थाय? पृ. ३५..
शतक ३८ चउरिन्द्रियमहायुग्मशतक पृ. ३५१. चउरिंद्रियो संबन्ध बार शतकोर्नु कथन पृ० ३५१.
__शतक ३९ असंज्ञी पंचेन्द्रियमहायुग्मशतक पृ० ३५२. कृतयुग्मकृतयुग्मरूप बसंज्ञी पंचेन्द्रियो क्याथी भावी उपजे ? पृ. ३५२.
__ शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक १ पृ. ३५३. कृतयुग्म कृतयुग्मरूप संज्ञी पंचेन्द्रियो क्याथी आवी उपजे? तेओ कइ संज्ञाना उपयोगवाळा छे! प्रथमसमयोत्पन्न कृतयुग्मकृतयुग्मरूप संझी पंचेन्द्रियो कर्मना बन्धक क्याथी आवी उपजे ? पृ. ३५४.
शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक २ पृ. ३५५. कृष्णळेश्यावाळा कृत. सं. पंचेन्द्रियो क्याथी आवीने उपजे?-प्रथमसमयोत्पन्न संज्ञी पंचेन्द्रियो क्याथी आवीने उपजे ! पृ. ३५५.
__ शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक ३ पृ. ३५६. नीललेश्यावाळा कृतयुग्म २ संज्ञी पंचेन्द्रियो क्याथी भावीने उपजे? पृ. ३५६.
शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक ४ पृ. ३५६. कापोतलेश्यावाळा कृतयुग्मकृतयुग्म रापिीरूप संज्ञी पंचेन्द्रियनो क्यांची आवी उत्पाद थाय !
शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक ५ पृ. ३५६. तेजोलेश्यावाळा संशी पंचेन्द्रियनो क्याथी भावीने उत्पाद थाय !
शतक ४० संज्ञी पं० महायुग्मशतक ६ पृ. ३५६. पद्मलेश्यावाळा संझी पंचेन्द्रियनो क्याथी आवी उत्पाद थाय ? पृ० ३५६.
शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक ७ पृ. ३५७. शुक्ललेश्यावाळा कृतयुग्म २ सं. पंचेन्द्रियनो क्याथी भावी उत्पाद थाय ?
शतक ४० संज्ञी पं० महायुग्मशतक ८ पृ. ३५७. कृतयुग्म २ सं० पंचेन्द्रिय भवसिद्धिकोनो क्याथी आवी उत्पाद थाय !
शतक ४० संज्ञी पं० महायुग्मशतक ९ पृ. ३५७. कृष्ण भवसिद्धिक सं. पंचेन्द्रियनो क्याथी आवी उत्पाद थाय !
शतक ४० संज्ञी पंचेन्द्रियमहायुग्म शतक १० पृ. ३५७. नीलळेश्याबाळा कृतयुग्म २ भवसिद्धिक संशी पंचेन्द्रियनो क्याथी आवी उत्पाद थाय ? पृ. ३५७.
शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक ११-१४ पृ. ३५८. संझौ पंचेन्द्रियो संबंधे सात औधिक शतको कह्यां छे ए रीते भवसिद्धिक संशी पंचेन्द्रिय संबंधे पूर्वोक्त सात शतकोनुं कथन पृ० ३५८.
शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक १६ पृ. ३५८... कृत• २ अभवसिद्धिक सं० पंचेन्द्रियनो क्याथी आवी उत्पाद थाय!-प्रथमसमयोत्पन्न कृत० २ अभवसिद्धिक सं• पंचेन्द्रियो क्याथी भावीने उत्पाद थाय! पृ० ३५८.
शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक १६ पृ० ३५९. कृतयुग्म २ कृष्णलेश्यावाळा अभवसिद्धिक सं० पंचेन्द्रियो क्याथी आवीने उपजे ? पृ. ३५९.
शतक ४० संज्ञीपंचेन्द्रियमहायुग्मशतक १७-२१ पृ. ३५९. गोललेश्या संबंधे छ शतको कथन पृ. ३५९..
शतक ४१ उद्देशक १ पृ. ३६०-३६२. राशियुग्मना प्रकार.-चार राषियुग्म कहेवार्नु कारण:-कृतयुग्मरूप नैरयिकोनो क्याथी आवीने उपपात थाय?-एक समये केटला उत्पन्न थाय ! तेभोनो सान्तर के निरन्तर उत्पाद होय!-तेओ जे समये कृतयुग्मराशिरूप होय ते समये योजराशिरूप होय इत्यादि प्रश्न पृ. ३६०. तेओने आश्रयी कृतयुग्म अने द्वापरयुग्मनो संबंध होय!- कृतयुग्म अने कल्योज राशिनो संवन्ध होय!-जीवोनो उपपात केवी रीते थाय? -उपपातनो हेतु भात्मानो असंयम.-आत्मसंयम के आत्मसंयमनो आश्रय.-तेओ सलेश्य होय के भलेश्य होय.!-सलेश्य सक्रिय होय के सक्रिय ? -कृतयुग्म राशिरूप अमरकुमारनी क्याथी आवी उत्पत्ति थाय?-मनुष्योना उपपातनुं कारण आत्मानो असंयम पृ. ३६१.-आत्मसंयमी मनुष्यो सलेश्य छे के भळेश्य!-लेश्यारहित ममुष्यो सक्रिय के अक्रिय!-क्रियारहितनी सिद्धि.--लेश्यावाळा मनुष्योनी सक्रियता.-सक्रिय ते भवा सिर पाय के नहि।आत्मअसंयमी सलेश्य छ के अलेश्य छै? –सलेश्य मनुम्यनी सक्रियता.-सक्रिय मनुष्य ते भवमा सिद्ध पाय.
Jain Education International
www.jainelibrary.org
For Private & Personal Use Only