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________________ शतक ३४ एकेन्द्रियशतक ७-१२ पृ० ३३७. नीलश्यावाळा अने कापोसलेश्याबाळा भवसिद्धिक एकेन्द्रियो सबन्धे सातमा अने आठमा शतकनुं कथन ए रीते अभवसिद्धिको संबंधे पण चार यातकोनुं कथन पृ० ३३७. शतक ३५ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक १ उद्देशक १ पृ० ३३८-३४२. महायुग्मना प्रकार. – सोळ महायुग्म कहेवानुं कारण पृ० ३३८. - कृतयुग्मकृतयुग्म राशिरूप एकेन्द्रियोनो उपपात - एक समयमा उपपातसंख्या - ते जीवो केटला काळे खाली थाय ? पृ० ३३९. ज्ञानावरणीयना बन्धक. – वेदक. -- सातावेदक अने असातावदेक. - तेओने लेश्या. तेओना शरीरोना वर्णादि. - अनुबन्धकाळ पृ० ३४० - संबंधादि - सर्व जीवोनो कृतयुग्मकृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रियपणे उत्पाद — कृतयुग्मन्योजराशिरूप एकैन्द्रियोनो उत्पाद — उत्पादसंख्या – कृतयुग्मद्वापर प्रमाण एकेन्द्रियोनो उत्पात -- उपपात संख्या. — कृतयुग्मकल्योज रूप एकेन्द्रियोनो उत्पाद. - श्योजकृतयुग्मप्रमाण एकेन्द्रियोनो उत्पाद. पृ० ३४१. — योजत्रयोजप्रमाण एकेन्द्रियोनो उपपात. - कल्यो जकल्यो जराशिरूप एकेन्द्रियोनो उत्पाद पृ० ३४२. शतक ३५ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक १ उद्देशक २ पृ० ३४२. प्रथमसमयोत्पन्न कृतयुग्मकृतयुग्मरूप एकेन्द्रियोनो उत्पाद पृ० ३४२. Jain Education International शतक ३५ ३-११ उद्देशको पृ० ३४३ - ३४४ अप्रथमसमयोत्पन्न कृतयुग्मकृतयुग्मरूप एकेन्द्रियोनो उत्पाद. - चरमसमय. कृतयुग्मकृतयुग्म एकेन्द्रियोनो उत्पाद. - अचरम समय कृतयुग्मकृतयुग्मरूप एकेन्द्रियोनो उत्पाद पृ०. ३४३ शतक ३५ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक २ पृ० ३४४ - ३४५. कृष्णळेश्याबाळा कृतयुग्मकृतयुग्मरूप एकेन्द्रियो क्यांभी आवी उपजे छे ? – कृष्ण० कृतयुग्म २ रूप एकेन्द्रियोनी स्थिति. - प्रथम समयोत्पन्न पूर्वोक्क एकेन्द्रियो क्यांथी आवी उपजे ! पृ० ३४५. शतक ३५ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक ३ पृ० ३४६ नीललेश्याषाळा पूर्वो एकेन्द्रियो संबंध कथन. १४ शतक ३५ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक ४ पृ० ३४६. कापोस श्यावाळा पूर्वोक्त एकेन्द्रिय संबंधे कथन. शतक ३५ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक ५ पृ० ३४५ - ३४६. भवसिद्धिक कृतयुग्म २ एकेन्द्रियो क्यांभी आवी उपजे ?, शतक ३५ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक ६ पृ० ३४६. कृष्णलेश्यावाळा पूर्वी एकेन्द्रियो क्यांथी आवी उपजे ! ' शतक ३५ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक ७ पृ० ३४६. नीलश्यावाळा भवसिद्धिक एकेन्द्रियो संबन्धे कथन. शतक ३५ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक ८ पृ० ३४६. कापोत श्यावाळा भवसिद्धिक एकेन्द्रियो संबन्धे कथन. शतक ३६ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक ९ – १२ पृ ३४६ अभवसिद्धिक एकेन्द्रियो संबंधे चार शतको पृ० ३४६. शतक ३६ बेइन्द्रियमहायुग्मशतक १ उद्देशक १ पृ० ३४७. कृतयुग्म २ रूप यैइन्द्रियोनो क्यांथी भावी उत्पाद थाय ? – बेइन्द्रियोनो अनुबन्ध काळ. - प्रथम समयोत्पन्न कृतयुग्म २ बेइन्द्रियोनो क्यांची आवी उत्पाद थाय ? पृ० ३४७. शतक ३६ बेइन्द्रियमहायुग्मशतक २–८ पृ० ३४८. कृष्णश्यावाळा कृतयुग्म २ प्रमाण बेइन्द्रिय जीवो क्यांथी आवी उत्पन्न थाय ? पृ० ३४८. शतक ३६ बेइन्द्रियमहायुग्मशतक ३ पृ० ३४८. नीलश्यावाळा बेइन्द्रिय सबन्धे कथन. --- शतक ३६ बेइन्द्रियमहायुग्मशतक ४ पृ० ३४८. कापोतचैश्यावाळा येइन्द्रियसंबंधे कथन पृ० ३४८. शतक ३६ बेइन्द्रियमहायुग्मशतक ५–८ पृ० ३४९. भवसिद्धिक कृतयुग्मकृतयुग्मराशिरूप बेइन्द्रियो क्याथी भावी उत्पन्न थाय — इत्यादि प्रश्न. शतक ३६ बेइन्द्रियमहायुग्मशतक ९ – १२ पृ० ३४९. अभवसिद्धिक पूर्वोक्त एकेन्द्रियो संबन्धे चार शतकोनुं कथन पृ० ३४९. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004643
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages442
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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