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________________ व्याख्याप्रज्ञ- जे शब्द उपर टिप्पण प्तिनुं पृष्ठ | छे ते शब्द टिप्पण माटे साक्षीभूत ग्रंथ वगेरे व्याख्याप्रज्ञ- जे शब्द उपर टिप्पण प्तिनुं पृष्ठ छे ते शब्द टिप्पण माटे साक्षीभूत ग्रंथ वगेरे २६ / देव ११२ ४८ १०६ १११ २५ पूरण १९१ १५३ साधुओनो वर्णक औपपातिकसूत्र | दिग्दाह वाराहीसंहिता सिद्ध प्रज्ञापना दुन्दुमि यास्कनुं निरुक्त सुधर्मखामी कल्पसूत्र मज्झिमनिकाय, अभिधानचिन्तासंनिवेश अभयदेवटीका ___मणिटीका. संवर . तत्त्वार्थसूत्र १२९ देवेन्द्र मज्झिमनिकाय, यास्कनुं निरुक्त. संस्थान कर्मग्रंथ कल्पसूत्र |संहनन कर्मग्रंथ धरणेन्द्र प्रज्ञापनासूत्र स्थितिबंध कर्मग्रंथ नरकपृथ्वीओ सूत्रकृतांगसूत्र, तत्त्वार्यसूत्र, पा। (भाग-२) अग्निभूति विशेषावश्यक तंजलयोगदर्शन. ·४३ नाटक(बत्रीश प्रकारनु) राजप्रश्नीय, भरतर्नु माट्यशास्त्र, २७२ अभिज्झिय मज्झिमनिकाय जीवाभिगम. १११ अभ्रवृक्ष वाराहीसंहीता ४२ | निवर्तनिक अनुवादक अमोघ | निषेक २७६ कर्मप्रकृति, पंचसंग्रह. अर्धमागधी १८२ प्राकृतसर्वख, निशीथचूर्णि. १०८ नैरयिक जीवाभिगमसूत्र असुर यास्कनुं निरुक्त पत्तन ४९ असुरकुमार प्रज्ञापना अभिधानचिन्तामणि २६१ | आहारउद्देशक परिवेष प्रज्ञापनासूत्र | वाराहीसंहिता ३९ ललितविस्तर पर्याप्ति कर्मग्रंथ २० ईशान प्रज्ञापनासूत्र | मज्झिमनिकाय, बौद्धपर्व | उत्करिकामेद प्रज्ञापनासूत्र पूर्व (संख्या वाचक) पालीव्याकरण (कच्चायन) ११२ उदकमत्स्य वाराहीसंहिता १८१ पैशाची भाषा प्राकृतव्याकरण १११ उल्कापात १३५ प्रज्ञापना अने लेनो प्रज्ञापनासूत्र धर्मसागरनी पट्टा७३ क्रिया प्रज्ञापनासूत्र ___ कर्ता वली, खरतरगच्छनी पट्टावली. १९५ कुलकर समवायांगसूत्र, आवश्यकनियुक्ति. प्रतिसूर्य वाराहीसंहिता ३०६ केवलकप्प मज्झिमनिकाय १८३ प्रमाण अनुयोगद्वारसूत्र गर्भापहार परिशिष्टपर्व प्राणामा सरखती (मासिक) ग्रहयुद्ध वाराहीसंहिता ३१३ ब्रह्मलोक पातंजलयोगदर्शन, मनुस्मृति. ग्रहशंगाटक २७२ मनाम (मणाम) मज्झिमनिकाय | ग्रहापसव्य ७३ मंडितपुत्र गान्धर्वनगर आवश्यकनियुक्ति मन्त्र चमर उत्तराध्ययन, प्रज्ञापनासूत्र प्रज्ञापनासूत्र चमरनो उत्पात मागधीभाषा सिद्धसेननी बत्रीशी प्राकृतव्याकरण औपपातिकसूत्र, अभिधान मौर्यपुत्र तामलि विशेषावश्यकसूत्र चिन्तामणि,अमरकोष, शब्द १२२ निरुक्त ( यास्क) स्तोममहानिधि, शब्द वाराहीसंहिता, जीवाभिगम. चिन्तामणि. राजप्रश्नीय उपांग! नन्दीसूत्र १४५ । चैत्यनी व्युत्पत्ति | अनुवादक शतपथब्राह्मण, वेदान्तसिद्धा१४३ चंपानगरी तीर्थकल्प, परिशिष्ट पर्व, ____न्तादर्श. महावीरचरित्र. लवण समुद्र जीवाभिगमसूत्र २७२ जल्ल मज्झिमनिकाय | लेश्या प्रज्ञापनासूत्र २४ | ताम्रलिप्ती प्रज्ञापनासूय वरुण निरुक्त ( यास्कनुं) दानामा-प्राणामानो महावीरचरिय (नेमिचंद्र ११ वायुभूति आवश्यकसूत्र, समवायोगसूत्र. विपर्यास | महावीरचरित्र (हेमचंद्र) | ८७ वायुनुं वहन । अनुवादक भ. सू. 5 १७६ गमापा 24...* ९९ १८१ चैत्य २४ यम ४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004643
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages442
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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