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________________ २५. उद्देश ४. भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र. २१७ १२. [अ०] जर असंलेखपरसोगाढे कि कडजुम्मपरसोगाडे - पुच्छा । [ ड०] गोयमा ! कडजुम्मपरसोगाडे, नो ते योग०, जो दायरम०, जो कलियोगपरसोगाडे एवं अधम्मत्विकावे वि एवं आगासत्यिकाचे वि जीवत्यिकाये, पुमा त्विकावे, बद्धासमए एवं चेय १३. [अ०] हम भंते! यणप्यभा पुढवी कि ओगाढा, अणोगाढा १ [४०] जदेव धम्मत्थिका एवं जाब-मईसत्तमा, सोहम्मे एवं चेव; एवं जाव- ईसिप भारा पुढवी । १४. [प्र० ] जीवे णं भंते! दधट्टयाए कि फउजुम्मे-पुच्छा। [३०] गोयमा नो कयजुम्मे, नो तेयोगे, नो दारजुम्मे, कलिओए । एवं नेरइय वि; एवं जाव- सिद्धे । १५. [प्र० ] जीवा णं भंते! दधट्टयाए किं कडजुम्मा-पुच्छा । [ उ०] गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलिओगा । विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा । १६. [म०] नेरयाणं भंते! दधट्टयाए- पुच्छा। [४०] गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा, जाब-लिय कलियोगा । विहाणादेखेणं णो कडजुम्मा, णो तेयोगा, जो दावरम्मा, कलिओोगा। एवं जाब- सिद्धा । I । 1 I १७. [ प्र० ] जीवे णं भंते! पपसट्टयाए किं कडजुम्मे- पुच्छा । [ उ०] गोयमा ! जीवपपसे पहुच्च कडजुम्मे, नो रोयोगे, तो दावरजुम्मे, जो कठियोगे सरीरपपसे पच सिय कडजुम्मे, जाब सिय कंलियोगे एवं जाव-बेमाणिए । १८. [०] सिद्धे भंते! परसट्टयाप किं कउजुम्मे-पुच्छा। [४०] गोयमा ! कडजुम्मे, जो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलिभोए । १२. [प्र० ] हे भगवन् ! जो ते असंख्याता आकाशप्रदेशमां आश्रित छे तो शुं कृतयुग्म राशिवाळा प्रदेशोमा आश्रित छे - इत्यादि असंख्यातप्रदेशम प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! ते कृतयुग्म राशिवाळा प्रदेशमां आश्रित छे, पण त्र्योज, द्वापर के कल्योज राशिवाळा प्रदेशमा आश्रित नथी. ए प्रमाणे अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय अने अद्धासमय संबंधे पण जाणवुं. 'अवगाडता. १३. [प्र०] हे भगवन् ! आ रत्नप्रभा पृथिवी कोइने आश्रित छे के अनाश्रित छे ! [उ०] गौतम ! धर्मास्तिकायनी पेठे जाणवुं. प्रभानी ९ प्रमाणे यावत् अधः सम पृथिवी सुची जाण तथा सौधर्म अने यावत्-ईपव्याग्भारा पृथिवी संबंधे पण एमज समज. गावता. १४. [प्र०] हे भगवन् जीव द्रव्यार्थरूपे शुं कृतयुग्म - इत्यादि प्रम. [उ०] हे गौतम! ते कृतयुग्म प्रयोज के द्वापरयुग्म रूप म नथी, पण * कल्योज रूप छे. ए प्रमाणे नैरयिक यावत्-सिद्ध सुधी जाणवुं . ग्मादिनी प्ररूपणा. १५. [प्र० ] हे भगवन् ! जीवो द्रव्यार्थपणे शुं कृतयुग्म छे- इत्यादि प्रश्न. [ उ०] हे गौतम! जीवो सामान्यतः -बधा मळीने कृतयुग्म छे, पण योज, द्वापर के कल्पोज रूप नथी. अने विशेष एक एकनी अपेक्षाए कृतयुग्म प्रयोग के द्वापरयुग्म नषी, पण कल्यो जरूप छे. १६. [२०] हे भगवन् । नैरविको संवन्धे द्रव्यार्थरूपे प्रश्न. [४०] हे गौतम नैरथिको सामान्यतः कदाच कृतयुग्म अने यावत्कदाच कल्योज पण होय, अने विशेष-व्यक्तिनी अपेक्षाए कृतयुग्म, त्र्योज के द्वापरयुग्म नथी, पण कल्योज रूप छे. ए प्रमाणे यावत्सिद्धो सुघी जाणवुं. १७. [प्र०] हे भगवन् जीव प्रदेशार्थरूपे झुं कृतयुग्म छे- इत्यादि प्रश्न. [३०] हे गौतम जीवप्रदेशनी अपेक्षाए जीव कृतयुग्म छे, पण योज, द्वापर के कल्योज नथी, अने शरीरप्रदेशनी अपेक्षाए कदाच कृतयुग्म होय अने यावत्-कदाच कल्पोज पण होय. ए प्रमाणे यावत्-वैमानिको सुची जाण * १४ जीव द्रव्यरूपे एक ज व्यक्ति होवाथी मात्र कल्योज रूप छे, अने जीवो द्रव्यरूपे अनन्ता अवस्थित होवाथी सामान्यरूपे तेओ कृतयुग्म रूपय होय छे. १७ जीवप्रदेशनी अपेक्षाए समस्त जीवोना प्रदेशो अवस्थित अनन्तरूपे होवाथी अने एक एक जीवना प्रदेशो अवस्थित असंख्याता होवाची चार चारनो अपहार करतां छेवटे चार बाकी रहे छे, माटे कृतयुग्म रूपज होय छे. शरीरप्रदेशनी अपेक्षाए सामान्यरूपे सर्व जीवना शरीरप्रदेशो संघात अने मेदथी अनवस्थित अनन्त रूपे होवाथी भिच भिन्न समये तेमां चतुर्विध राशिनो समवतार यई शके छे. विशेषरूपे एक एक जीवशरीरना प्रदेशोमां एक समये पण चतुर्विध राशिनो समवतार थाय छे. कारण के कोइक जीवशरीरना प्रदेशो कृतयुग्म रूप होय छे, तो अन्य जीवशरीरना प्रदेशो वीजी राशिरूप होय छे. २० म० सू० १८. [प्र० ] हे भगवन् ! सिद्ध प्रदेशार्थपणे शुं कृतयुग्म छे- इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम! कृतयुग्म छे, पण त्र्योज, द्वापरयुग्म सियोमां कृतयुग्मा दि के योगरूप नषी. नो समवतार. Jain Education International जीबोमां कृतयुग्मादि राशियोनुं अवतरण. For Private & Personal Use Only नैरनिकोमा कृतयु ग्मादि राशिमोनुं अवतरण. युग्मादि राशिमो. www.jainelibrary.org
SR No.004643
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages442
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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