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२१८ श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे
शतक २५.-उद्देशक ४. १९. प्रि० जीवा गं भंते। पपसट्टयाए कि कडजुम्मा० पुच्छा। [उ०] गोयमा । जीवपएसे पडच मोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलिओगा। सरीरपएसे पडुश्च ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा, जाव-सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव-कलियोगा वि । पर्व नेरइया वि; एवं जाव-बेमाणिया। प्रसिद्धा गं भंते!-पुच्छा। उ०] गोयमा! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा. नो दावरजम्मा. नो कलिमोगा।
२०.० जीवे भंते ! कि कडजुम्मपएसोगाढे-पुच्छा । [उ०] गोयमा सिय कडजुम्मपएसोगाढे, जाध-सिय कलिओगपएसोगाढे । एवं जाव-सिद्धे।
२१. जीवाणं भंते ! किं कडजुम्मपएसोगाढा-पुच्छा। [उ०] गोयमा! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोग०, नो दावर०, नो कलियोग० । विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा वि, जाव-कलियोगपएसोगाढा वि।
२२. [प्र०] नेरइयाणं-पुच्छा [उ.] गोयमा! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मपएसोगाढा, जाव-सिय कलियोगपएसोगाढा । विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा वि, जाव-कलियोगपएसोगाढा वि । एवं एगिदिय-सिद्धवजा सधे विसिद्धा एगिदिया य जहा जीवा। ____२३. [प्र०] जीवे णं भंते ! किं कडजुम्मसमयट्ठितीए-पुच्छा। [उ०] गोयमा ! कडजुम्मसमयहितीए, नो तेयोग०, नो दावर०, नो कलियोगसमयट्टितीए ।
२४. [प्र०] नेरहए णं भंते !-पुच्छा । [उ०] गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयद्वितीय, जाव-सिय कलियोगसमयट्टितीए । एवं जाव-वेमाणिए; सिद्धे जहा जीवे । ___ २५. [प्र०] जीवा णं भंते !-पुच्छा। [३०] गोयमा ! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मसमयद्वितीया, नो तेओग०, नो दावर०, नो कलिओग०।
जीवोमा प्रदेशापेक्षा १९. [प्र०] हे भगवन् ! जीवो प्रदेशार्थरूपे शुं कृतयुग्म छे-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम! जीवप्रदेशोनी अपेक्षाए जीवो थी कृतयुग्मादि.
सामान्य अने विशेषरूपे कृतयुग्म छे, पण त्र्योज, द्वापरयुग्म के कल्योज नथी. अने शरीरप्रदेशोनी अपेक्षाए सामान्यतः कदाच कृतसिद्धोमा प्रदेशनी सामान्य.अन विशषरूप कृतयुग्म छ, अपेक्षाए कृत युग्म होय अने यावत्-कदाच कल्योज पण होय. विशेषनी अपेक्षाए कृतयुग्म पण होय अने यावत्-कल्योज पण होय. ए प्रमाणे नैरयुग्मादि.
यिकोथी आरंभी यावत्-वैमानिको सुधी जाणवू. [प्र०] हे भगवन् | सिद्धो (जीवप्रदेशनी अपेक्षाए) शुं कृतयुग्म छे-इत्यादि प्रश्न.
[उ०] हे गौतम! सामान्य अने विशेषने आश्रयी सिद्धो कृतयुग्म छे, पण त्र्योज, द्वापर के कल्योज रूप नथी. एकजीवाश्रित आ- . २०. [प्र०] हे भगवन् ! शुं जीव आकाशना कृतयुग्म संख्यावाळा प्रदेशोने आश्रयी रहेलो छे-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! कदाच काशप्रदेशमा कृतयमादि राशिओ. कृतयुग्म प्रदेशोने आश्रयी रहेलो होय अने यावत्-कदाच कल्योज प्रदेशोने आश्रयी रहेलो होय छे. ए प्रमाणे यावत्-सिद्ध सुधी जाणवू. अनेक जीवो संवन्धे . २१. [प्र०] हे भगवन् ! शुं जीवो आकाशना कृतयुग्म प्रदेशोने आश्रयी रहेला छे-इत्यादि प्रश्न. [उ० हे गौतम | सामान्य रूपे प्रश्न.
कृतयुग्म प्रदेशोने आश्रयी रहेला छे, पण व्योज, द्वापर के कल्योज प्रदेशोने आश्रयी रहेला नथी. अने विशेषरूपे कृतयुग्म प्रदेशोने
आश्रयी रहेला छे, यावत्-कल्योज प्रदेशोने आश्रयी रहेला छे. चैरयिकादि दंडको २२. प्र०ा हे भगवन् । शुं नैरयिको कृतयुग्म संख्यावाळा आकाश प्रदेशोने आश्रयी रहेला छे- इत्यादि प्रश्न. [उ० हे गौतम | अने सिद्धो.
सामान्य रूपे कदाच कृतयुग्म प्रदेशोने आश्रयी रहेला होय अने यावत्-कदाच कल्योज प्रदेशोने आश्रयी रहेला होय. विशेषरूपे कृतयुग्म प्रदेशावगाढ पण होय यावत्-कल्योज प्रदेशावगाढ पण होय. एकेन्द्रिय अने सिद्ध सिवाय बाकीना बधा जीवो माटे एज प्रमाणे
जाणवं. सिद्धो अने एकेन्द्रियो सामान्य जीवोनी पेठे जाणवा.. जीवना स्थितिकाळ- २३. [प्र०] हे भगवन् । शुं जीव कृतयुग्म समयनी स्थितिवाळो छे-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! *कृतयुग्म समयनी स्थितिना समयोमा कृतTो . वाळो छे, पण त्र्योज, द्वापर के कल्योज समयनी स्थितिवाळो नथी. नैरयिकादि.
२४. [प्र०] हे भगवन् ! शुं नैरयिक कृतयुग्म समयनी स्थितिवाळो छे-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! कदाच कृतयुग्म समयनी
स्थितिवाळो होय अने कदाच कल्योज समयनी स्थितिवाळो होय. ए प्रमाणे यावत्-वैमानिक सुधी जाणवू. सिद्धने जीवनी पेठे जाणतुं. जीवोनी स्थितिकाळ- २५. [प्र०] हे भगवन् ! शुं जीवो कृतयुग्म समयनी स्थितिवाळा होय छे-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम | तेओ सामान्यादेश मा समयोमा कृत- ..
अने विशेषादेशनी अपेक्षाए कृतयुग्म समयनी स्थितिवाळा होय छे, पण योज, द्वापर के कल्योज समयनी स्थितिवाळा होता नथी. युग्मादि राशिओ.
२३ * सामान्य जीवनी स्थिति सर्व काळमां शाश्वत होवाथी अने सर्वकाळ नियत अनन्त समयात्मक होवाथी जीव कृतयुग्म समयनी स्थितिवाळो कहेवाय छे. अने नारकादिनी भिन्न भिन्न स्थिति होवाथी कोईवार ते कृतयुग्म समयनी स्थितिवाळो होय छे, तो कोई वार यावत्-कल्योज समयनी स्थितिवाळो होय छे.
२५ + सामान्यादेश भने विशेषादेशथी जीवोनी स्थिति अनाद्यनन्त काळनी होवाथी तेओ कृतयुग्म समयनी स्थितिवाळा छे.
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