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प्पा. भी लालसागर तुरिवान C महावीर जैन व्यासचना केन्द्र
शतक १४. – उद्देशक ७.
भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र.
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४. [ प्र० ] से केणट्टे भंते! एवं बुधई 'दधतुल्लए' २१ [अ०] गोयमा ! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स द भ तुले, परमाणुपोग्गले. परमाणुपोग्गलवइरित्तस्स दवओ णो तुल्ले, दुपपसिए बंधे दुपपसियस्स खंधस्स दवभो तुले, दुपपसिप बंधे दुपपसियवइरित्तस्स खंधस्स दवओ णो तुले, एवं जाव- दसपपसिप, तुल्लसंखेज्जपपसिए खंधे तुल्लसंखेजपरसियरस संघ दओ तुले, तुलसंखे जपपलिए खंधे तुल्लसंखेजपरसियवइरित्तस्स खंधस्स दखओ णो तुल्ले, एवं तुल्लअसंखेजपरसिप वि एवं तुलअणतपसिए वि से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चर - 'दधतुल्लए' २ ।
५. [ प्र० ] से केणट्टे भंते । एवं बुच्चर - 'खेत्ततुल्लए' २१ [अ०] गोयमा ! एगपरसोगाढे पोग्गले एगपएसोगादस्स पोग्गलस्स खेत्तओ तुले, एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तओ णो तुले, एवं जाव- दसपएसोगाढे, तुलसंखेजपरसोगाढे तुलसंखेज ०, एवं तुल्लभसंखेजपरसोगाढे वि, से तेणट्टेणं जाव - 'खेत्ततुल्लए' २ ।
६. [प्र० ] से केणट्टे भंते ! एवं बुवइ - 'कालतुल्लए' २१ [अ०] गोयमा ! एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितियस् य पोग्गलस्स कालओ तुल्ले, एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ णो तुले, एवं जाब - दससमयद्वितीय, तुल्लसंखेज्जसमयठितीए एवं चेव, एवं तुल्लअसंखेज्जसमयद्वितीए वि, से तेणट्टेणं जाब- 'कालतुल्लए' २ ।
७. [प्र० ] से केणणं भंते ! एवं बुच्चइ - 'भवतुल्लए' २१ [अ०] गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स भवट्टयाए तुल्ले, नेरद्दयवरिस भवट्टयाए नो तुल्ले, तिरिक्खजोणिए एवं चेव, एवं मणुस्से, एवं देवे वि, से तेणद्वेणं जाव - 'भवतुल्लए' २ ।
८. [प्र०] से केणट्टेणं भंते 1 एवं बुच्चइ - 'भावतुल्लए' २१ [अ०] गोयमा ! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालस्स पोग्गलस्स भाव तुले, एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगवइरित्तस्स पोग्गलस्स भावओ णो तुल्ले, एवं जाव - दसगुणकालप, एवं तुलसंखेज्जगुणकालप पोग्गले, एवं तुल्लअसंखेज्जगुणकालए वि, एवं तुल्लअनंतगुणकालए वि, जहा कालए एवं नीलए, लोदि
४. [प्र० ] हे भगवन् ! द्रव्यतुल्य ए 'द्रव्यतुल्य' एम केम कहेवाय ? [अ०] हे गौतम! एक परमाणुपुद्गल बीजा परमाणुपुद्गलनी 1 साथे द्रव्यथी तुल्य छे, पण परमाणुपुद्गल परमाणुपुद्गल शिवायना बीजा पदार्थ साथे द्रव्यथी तुल्य नथी; ए प्रमाणे द्विप्रदेशिक स्कन्ध (बीजा) द्विप्रदेशिक स्कन्धनी साथे द्रव्यथी तुल्य छे, पण द्विप्रदेशिक स्कन्ध द्विप्रदेशिक स्कन्ध सिवायना बीजा पदार्थ साथै द्रव्यथी तुल्य नथी. ए प्रमाणे यावत् - दशप्रदेशिक स्कन्ध सुधी कहेवु. तुल्यसंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध ( तेना ) तुल्यसंख्यातप्रदेशिक स्कन्धनी सा द्रव्यथी तुल्य छे, पण तुल्यसंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध तुल्यसंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध शिवायना बीजा पदार्थ साथे द्रव्यथी तुल्य नथी, ए प्रमाणे तुल्यअसंख्यात प्रदेशिक स्कन्ध तथा तुल्यअनन्तप्रदेशिक स्कन्ध संबन्धे पण जाणवुं. माटे हे गौतम! ते कारणथी द्रव्यतुल्य ए 'द्रव्य - तुल्य' कहेवाय के.
५. [प्र०] हे भगवन् ! क्षेत्रतुल्य ए 'क्षेत्रतुल्य' शा कारणथी कहेवाय छे ! [ उ०] हे गौतम! आकाशना एक प्रदेशावगाढ-एक प्रदेशमां रहेल पुद्गल द्रव्य एक प्रदेशमां रहेल पुद्गलद्रव्यनी साथे क्षेत्रथी तुल्य कहेवाय छे; पण एक प्रदेशमां रहेल पुद्गलद्रव्य शिवायना द्रव्य साथै क्षेत्रथी तुल्य नथी. ए प्रमाणे यावत् - दशप्रदेशावगाढ- दश प्रदेशमां रहेल पुद्गल द्रव्य संबन्धे पण जाणवुं. तथा तुल्यसंख्यातप्रदेशावगाढ स्कन्धनी साथे तुल्यसंख्यातप्रदेशावगाढ स्कन्ध तुल्य होय, ए प्रमाणे तुल्यअसंख्यातप्रदेशावगाढ स्कन्ध संबन्धे पण जाणवुं. माटे हे गौतम । ते हेतुथी क्षेत्रतुल्य ए 'क्षेत्रतुल्य' कहेवाय छे.
६. [प्र०] हे भगवन् ! कालतुल्य ए 'कालतुल्य' शा हेतुथी कहेवाय छे ? [उ०] हे गौतम ! एक समयनी स्थितिवाळु पुद्गलद्रव्य एक समयनी स्थितिवाळा पुद्गलनी ताथे कालथी तुल्य छे. एक समयनी स्थितिवाळु पुद्गलद्रव्य एक समयनी स्थिति सिवायना पुद्गलद्रव्य साथै कालथी तुल्य नथी. ए प्रमाणे यावत् - दशसमयनी स्थितिवाळा पुद्गलद्रव्य संबन्धे जाणवु. तुल्यसंख्यातासमयनी स्थितिवाळा अने तुल्य - असंख्यात समयनी स्थितिवाळा पुद्गलद्रव्य संबन्धे पण ए प्रमाणे जाणवुं. ते हेतुथी ए प्रमाणे कालतुल्य ए 'कालतुल्य' कहेवाय छे.
७. [प्र०] हे भगवन् ! शा हेतुथी एम कहेवाय छे के भवतुल्य ए 'भवतुल्य' छे ? [ उ०] हे गौतम! नारक जीव नारकनी साथै भवरूपे तुल्य नारक नारक सिवायना बीजा जीव साथे भवरूपे तुल्य नथी. ए प्रमाणे तिर्यंचयोनिक, मनुष्य अने देवसंबन्धे पण जाण. माटे हे गौतम! ते हेतुथी यावत्- 'भवतुल्य' कहेवाय छे.
८. [प्र०] हे भगवन् ! शा हेतुथी एम कहेवाय छे के भावतुल्य ए 'भावतुल्य' छे ! [उ०] हे गौतम! एकगुण काळावर्णवाळु 'पुद्गलद्रव्य एकगुण काळावर्णवाळा पुद्गलद्रव्यनी साथै भावथी तुल्य छे, परन्तु एकगुण काळावर्णवालुं पुद्गलद्रव्य एकगुणकाळा वर्ण शिवायना बीजा पुद्गलद्रव्य साथे भावतुल्य नथी. ए प्रमाणे यावद् दशगुण काळावर्णवाळा पुद्गल संबन्धे जाणवु. तुल्यसंख्यातगुणकाळा, तुल्यअसं
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प्रम्यतुश्य.
क्षेत्र तुल्य.
काळतुष्य.
भवतुल्य
भावमुश्य
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