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श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे
शतक ७.-उद्देशक. ३. ९. प्र०] नेरइयाणं भंते ! जा वेयणा सा निजरा, जा निजरा सा वेयणा? [उ०] गोयमा ? णो तिणटे समढे । [प्र०] से केणष्ट्रेणं भंते ! एवं वुञ्च-नेरइयाणं जा वेयणा न सा निजरा, जा निज़ारा न सा वेयणा ? [उ०] गोयमा! नेरहयाणं कम्म वेदणा, णोकम्म निजरा; से तेणटेणं गोयमा! जाव न सा वेयणा, एवं जाव वेमाणियाणं।
१०. [प्र० से घूणं भंते ! ॐ वेदेसु तं निजरिंसु, जं निजरिंसु तं घेवेंसु ? [उ०] णो तिणटे समढे। [प्र०] से केण-- ट्रेणं भंते ! एवं वुष्यह-जंधेदेंसु नो तं निजरेंसु, जं निजरेंसु नो तं वेद॑सु ? [३०] गोयमा ! कम्मं वेर्देसु, नोकम्मं निजरिंस से तेणट्रेणं गोयमा! जाव नो तं वेदेंसु । [प्र०] नेरइयाणं भंते ! जं वेर्देसु तं निजरेंसु? [उ०] एवं नेरइया वि, एवं जाव वेमाणिया।
११. [प्र०] से पूर्ण भंते ! जं वेदेति तं निजरेति. जं निजरेति तं वेदेति ? [उ०] गोयमा ! णो तिणढे सम?। [प्र.] से केणट्रेणं भंते ! एवं वुथइ-जाव नो तं वेदेति ? [उ०] गोयमा! कम्मं वेदेति, नोकम्मं निजरेंति, से तेणट्रेणं गोयमा! जाव नो तं वेदेति, एवं नेरइया वि, जाव घेमाणिया।
१२. [प्र०] से शृणं भंते ! जंदिस्संति तं निजरिसंति, जं निजरिस्संति तं चेदिस्संति? [उ०] गोयमा ! जो तिणट्रे समट्रे! [प्र०] से केणटेणं जाव णोतं वेदिस्संति ? [30] गोयमा! कम्मं वेदिस्संति, नोकम्मं निजरिस्संति, से तेणटेणं जाव नो तं निजरिस्संति, एवं नेत्या वि, जाव वेमाणिया।
१३. [प्र०] से पूर्ण भंते ! जे वेदगासमए से निजरासमए, जे निजरासमए से वेदणासमए ? [उ०] णो तिणट्टे समझे। प्रि०ा से केणट्रेणं एवं वुञ्चइ-जे देयणासमए न से निजरासमए, जे निजरासमए न से वेदणासमए ? [उ०] गोयमा! जं समयं वेदेति नो तं समयं निजरेंति, जं समयं निजरेंति नो तं समयं वेदेति, अमम्मि समए वेदेति, अन्नम्मि समए निजरेंति, अने से वेदणासमए, अने से निजरासमप; से तेणटेणं जावन से वेदणासमए, न से निजरासमए ।
ते निर्जरा नथी.
ने वेधं ते निर्जयु
नथी.
९. प्र०) हे भगवन् ! शुं नारकोने जे वेदना छे ते निर्जरा कहेवाय, अने जे निर्जरा छे ते वेदना कहेवाय ! [उ०) हे गौतम ! ए अर्थ योग्य नथी. [प्र०] हे भगवन् ! एम शा हेतुथी कहो छो के नारकोने जे वेदना ते निर्जरा न कहेवाय ! [उ०] हे गौतम ! नारकोने वेदना छे ते कर्म छे, अने निर्जरा छे ते नोकर्म छे, ते हेतुथी एम कहुं छु के हे गौतम ! यावत् निर्जरा ते वेदना न कहेवाय. ए प्रमाणे यावत् वैमानिको जाणवा.
१०. प्र०] हे भगवन् ! शुं खरेखर जे वेद्यं ते निर्जयें, अने जे निर्जयुं ते वेधुं ! [उ०] हे गौतम ! ए अर्थ योग्य नधी [प्र०] हे भगवन् ! एम शा हेतुथी कहेवाय छे के जे वेद्यं ते निर्जयुं नथी, जे निर्जयुं ते वेधुं नथी ? [उ०] हे गौतम! कर्म वेद्यं, अने नोकर्म निर्जयु; ते हेतुथी हे गौतम! यावत् ते वेधु नथी. [प्र०] हे भगवन् ! नारकोए जे वेद्यं ते निर्जयु ! [उ०] पूर्वे कह्या प्रमाणे नारको पण जाणवां, यावत् वैमानिको पण जाणवा.
११. [प्र०] हे भगवन् ! शुं खरेखर जेने वेदे छे तेने निर्जरे छे, अने जेने निर्जरे छे तेने वेदे छे ? उ०] हे गौतम! ए अर्थ योग्य नथी. प्र०] हे भगवन् ! एम शा हेतुथी कहेबाय छे के यावत् जेने वेदे छे तेने निर्जरतो नथी, जेने निर्जरे छे तेने वेदतो नथी. [उ०] हे गौतम ! कर्मने वेदे छे अने नोकर्मने निर्जरे छे; ते हेतुथी हे गौतम ! एम कहेवाय छे के यावत् [जेने निर्जरे छे ] तेने वेदतो नथी. ए प्रमाणे नारको पण जाणवा, यावत् वैमानिको जाणवा.
जेने वेदे छे तेने निर्जरतो नयी.
जेने वेदशे तेने निर्जरशे नहि.
जे वेदनानो समय छे ते. निर्जरानो समय नथीं.
१२. प्रि०] हे भगवन् ! शुंजेने वेदशे तेने निर्जरशे, अने जेने निर्जरशे तेने वेदशे? [उ०] हे गौतम! ए अर्थ योग्य नथी. [प्र०]. हे भगवन् ! एम शा हेतुथी कहो छो के यावत् तेने वेदशे नहि ! [उ०] हे गौतम ! कर्मने वेदशे अने नोकर्मने निर्जरशे, ते हेतुथी यावत् जेने [ वेदशे ] तेने निर्जरशे नहि.
१३. [प्र०] हे भगवन् ! शुं जे वेदनानो समय छे ते निर्जरानो समय , अने जे निर्जरानो समय छे ते वेदनानो समय छे ? उ०] हे गौतम! ए अर्थ योग्य नथी. प्रि० हे भगवन ! शा हेतथी एम कडेवाय छे के जे वेदनानो समय ले ते निर्जरानो अने जे निर्जरानो समय छे ते वेदनानो समय नथी? [उ०] हे गौतम! जे समये वेदे छे ते समये निर्जरा करतो नथी, जे समये निर्जरा करे छे ते समये वेदतो नथी, अन्य समये वेदे छे, अन्य समये निर्जरा करे छे, वेदनानो समय भिन्न छे अने निर्जरानो समय भिन्न छे; ते हेतुथी यावत् वेदनानो समय छे ते निर्जरानो समय नथी.
. निजरंसु ख। २ निजरिंति घ।
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