SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 314
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दसमो उद्देसो । १. [प्र०] कइविहा णं भंते ! आया पण्णत्ता? [उ०] गोयमा! अट्ठविहा आया पण्णत्ता, तंजहा-१ दवियाया.. कसायाया, ३ योगाया, ४ उवओगाया, ५ णाणाया, ६ दसणाया, ७ चरित्ताया, ८ वीरियाया। २.प्र. जस्स णं भंते । दवियाया तस्स कसायाया, जस्स कसायाया तस्स दविवाया? [उ.] गोयमा! जस दवियाया तस्स कसायाया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया नियम अस्थि । ३. [प्र०] जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स जोगाया ? [उ०] एवं जहा दवियाया कसायाया भणिया तहा दवियाया जोगाया भाणिया। प्रिन जस्स णं भंते ! दवियाया, तस्स उवओगाया-पवं सवत्थ पुच्छा भाणियवा। [उ०] गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स उपभोगाया नियम अत्थि, जस्स वि उवओगाया तस्स वि दवियाया नियम अत्थि, जस्स दवियाया तस्स गाणाया भय दशम उद्देशक. भास्माना प्रकार. १. [प्र०] हे भगवन् । आत्मा केटला प्रकारना कह्या छ ? [उ०] हे गौतम! आठ प्रकारना आत्मा छे, ते आ प्रमाणे-*१ द्रव्यात्मा, २ कषायात्मा, ३ योगात्मा, ४ उपयोगात्मा, ५ ज्ञानात्मा, ६ दर्शनात्मा, ७ चारित्रात्मा अने ८ वीर्यात्मा. द्रण्यात्मा भने २. [प्र०] हे भगवन् ! जेने 'द्रव्यात्मा होय तेने शुं कषायामा होय अने जेने कषायात्मा होय तेने शुं द्रव्यात्मा होय ! [उ०] है कपायात्मानो गौतम ! जेने द्रव्यात्मा होय तेने कषायात्मा कदाचित् होय अने कदाचित् न होय, पण जेने कषायात्मा होय, तेने तो अवश्य द्रव्यात्मा होय.' द्रव्यामा भने ३. [प्र०] हे भगवन् ! जेने द्रव्यात्मा होय तेने योगात्मा होय ! [अने जेने योगात्मा होय तेने द्रव्यात्मा होय! उ०] ए प्रमाणे योगात्मानो संवन्प. जेम द्रव्यात्मा अने कषायात्मानो संबन्ध कह्यो तेम द्रव्यात्मा अने योगात्मानो संबन्ध कहेवो. द्रव्यात्मा बने ४. प्र०] हे भगवन् । जेने द्रव्यात्मा होय तेने उपयोगात्मा होय! [ अने जेने उपयोगात्मा होय तेने द्रव्यात्मा होय !] ए. उपयोगात्मानो प्रमाणे सर्वत्र प्रश्न करवो. [उ०] हे गौतम ! जेने द्रव्यात्मा होय तेने उपयोगात्मा अवश्य होय, अने जेने उपयोगात्मा होय तेने पण संबन्ध. संवन्ध. * उपयोगलक्षण आत्मा एक प्रकारे छे, तो पण अमुक विशेषताने लीधे तेना आठ प्रकार छ, ते आ प्रमाणे-१ त्रिकाळवी आत्मा द्रव्य ते द्रव्यात्मा, ते सर्व जीवोने होय छे, २ क्रोधादिकषाययुक्त आत्मा ते कषायात्मा, ते सकषायी जीवोने होय छे, पण उपशान्तकषाय अने क्षीणकषायने होतो नथी, ३ मन, वचन भने कायव्यापारवाळाने योगात्मा होय छे, ४ साकार भने निराकार उपयोगवाळा सिद्ध भने संसारी सर्व जीवने उपयोगात्मा होय छे, ५ सम्यग् विशेषावबोधरूप ज्ञानात्मा सर्व सम्यग्दृष्टिने होय छे, ६ सामान्यअवबोधरूप दर्शनात्मा सर्व जीवोने होय छे, ७ चारित्रात्मा विरतिवाळाने होय छे, ८ अने वीर्यात्मा करणवीर्यवाळा सर्व संसारी जीवोने होय छे-टीका. २ अहिं द्रव्यात्मा-आदि भाठ पदोनी स्थापना करवी, तेमां प्रथम सू० २-४ सुधी द्रव्यात्मानो बाकीना कषायात्मा बगेरे सात आत्मानी साथे संबन्ध बतावे छे-जेने द्रव्यात्मल-जीवल होय, तेने कषायात्मा कदाचित् (सकषायावस्थामां) होय, अने कदाचित् क्षीणकषाय अने उपशान्तकषायवाळाने न होय, पण जेने कषायात्मा होय छे तेने द्रव्यात्मख-जीवन अवश्य होय छ, केमके जीवत्व शिवाय कषायो होता नथी. . ३१ जेने द्रव्यात्मा होय तेने योगात्मा सयोगीअवस्थामां होय छे, अयोगी (योगरहित ) केवली भने सिद्धोने योगात्मा होतो नथी, पण जेने योगात्मा होय तेने अवश्य द्रव्यात्मा होय छे, केमके जीवत्व शिवाय योगो होता नथी. आ हकीकत पूर्वसूत्रमा बताव्या प्रमाणे जाणवी. . ४ जे जीवने द्रव्यात्मा होय छे तेने अवश्य उपयोगात्मा होय छ, भने जेने उपयोगात्मा होय छे तेने अवश्य द्रव्यात्मा होय छे, केमके द्रव्यात्मा भने उपयोगात्मानो परस्पर नियत संबन्ध छे. सिद्ध भने अन्य संसारी जीवोने द्रव्यात्मा पण छ, भने उपयोगात्मा पग छे; कारण के उपयोग ए जीपचें लक्षण छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.004642
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages422
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy