SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 315
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९५ शतक १२.-उद्देशक १०. भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र. णाए जस्स पुण णाणाया तस्स दवियाया नियमं अस्थि, जस्स दवियाया तस्स दसणाया नियम अत्थि, जस्स वि दसणाया तस्स दवियाया नियम अत्थि, जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए, जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया नियम अस्थि, एवं वीरियायाए वि समं । ५. [प्र०] जस्स णं भंते ! कसायाया तस्स जोगाया-पुच्छा । [उ०] गोयमा ! जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियम अत्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय अत्थि सिय नत्थि, एवं उवओगायाए वि समं कसायाया नेयधा, कसायाया य णाणाया य परोप्परं दो वि भइयचाओ, जहा कसायाया य उवओगाया य तहा कसायाया य दसणाया य कसायाया य चरित्ताया य दो वि परोप्परं भइयचाओ, जहा कसायाया य जोगाया य तहा कसायाया य वीरियाया य भाणियचाओ, एवं जहा कसायायाए वत्तवया भणिया तहा जोगायाए वि उवरिमाहि सम भाणियधाओ। जहा दवियायाए वत्तवया मणिया तहा द्रव्यात्मा अवश्य होय, जेने द्रव्यात्मा होय तेने ज्ञानात्मा भजनाए-विकल्पे होय, अने जेने ज्ञानात्मा होय तेने द्रव्यात्मा द्रव्यारमानोशाना स्मानी साये संबन्ध अवश्य होय. जेने द्रव्यात्मा होय तेने दर्शनात्मा अवश्य होय, जेने दर्शनात्मा होय तेने द्रव्यात्मा पण अवश्य होय, जेने मामासा द्रव्यात्मा होय तेने चारित्रात्मा भजनाए-विकल्पे होय, अने जेने चारित्रात्मा होय तेने द्रव्यात्मा अवश्य होय. ए प्रमाणे वीर्यात्मानी संबन्ध. चारित्रास्मा साथे पण संबन्ध कहेवो. साये संपन्न. वीर्यास्मा. ५. [प्र०] हे भगवन् ! जेने कषायात्मा होय तेने शुं योगात्मा होय !-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम! जेने कंषायात्मा होय तेने कषायामा भने योगात्मा अवश्य होय, अने जेने योगात्मा होय तेने कदाचित् कषायात्मा होय अने कदाचित् न पण होय. ए प्रमाणे उपयोगात्मानी साथे। योगात्मानो ___ संबन्ध.. कषायात्मानो संबन्ध जाणवो. तथा कषायात्मा अने ज्ञानात्मा ए बन्ने परस्पर भजनाए-विकल्पे कहेवा. जेम कषायात्मा अने उपयोगात्मानो संबन्ध कह्यो तेम कषायात्मा अने दर्शनात्मानो संबन्ध कहेवो. तथा कषायात्मा अने चारित्रात्मा-ए बन्ने-परस्पर भजनाए कहेवा. जेम कथायात्मा भने कषायात्मा अने योगात्मा कहा, तेम कषायात्मा अने वीर्यात्मा पण कहेवा. ए प्रमाणे जेम कषायात्मानी साथे इतर [छ] आत्मानी वक्तव्यता दर्शनात्मानोसंबन्ध कही, तेम योगात्मानी साथे पण उपरना [पांच] आत्माओनी वक्तव्यता कहेवी. जेम द्रव्यात्मानी वक्तव्यता कही तेम उपयोगात्मानी ४. जेने द्रव्यात्मा होय छे तेने झानात्मा विकल्पे होय छे, जेमके सम्यग्दृष्टिने तत्त्वना विशेषावबोधरूप सम्यग्ज्ञान होय छ, भने मिभ्याधिने सम्यग्ज्ञान होतुं नथी; पण जेने ज्ञानात्मा होय छे तेने द्रव्यात्मा सिद्धनी पेठे अवश्य होय छे. जेने द्रव्यात्मा होय छे तेने सामान्य अवयोधरूप दर्शनात्मा अवश्य होय छे, जेम सिद्धने केवलदर्शन होय छ, जेने दर्शनात्मा होय छे तेने द्रव्यात्मा पण अवश्य होय छे. जेमके चक्षुदर्शनादिवाळाने द्रव्यात्मा-जीवख होय छे. जेने द्रव्यात्मा होय छ तेने चारित्रात्मा भजनाए होय छे, कारण के सिद्ध अथवा विरतिरहितने द्रव्यात्मा छतां पण हिंसादि दोषथी निवृत्तिरूप चारित्रात्मा होतो नथी, अने विरतिषाळाने होय छे, माटे भजना जाणवी. जेने चारित्रात्मा होय छे तेने द्रव्यात्मा अवश्य होय छे, केमके चारित्रवाळाने जीवत्वनुं नियतसाहचर्य होय छे. ए प्रमाणे द्रव्यात्मानो वीर्यात्मानी साथे संबन्ध जाणवो. जेमके द्रव्यात्मानो चारित्रात्मानी साथे भजना अने नियम कयो तेम वीर्यात्मानी साथे पण जाणवं. ते आ प्रमाणे-जेने द्रव्यात्मा होय छे तेने वीर्यात्मा होतो नथी, जेमके सकरण वीर्यनी अपेक्षाए सिद्धने वीर्यात्मा नथी, बीजा संसारीने होय छे. पण जेने वीर्यात्मा होय छे तेने द्रव्यात्मा अवश्य होय छे. जेमके वीर्यवाळा संसारी जीवोने द्रव्यात्मा होय छे. ५ हवे कषायात्मानी साथे बीजा छ आत्मानो संबन्ध बतावे छे-जेने कषायात्मा होय छे तेने योगात्मा होय छ, केमके कोइ पण सकषायी अयोगी (योगरहित ) होतो नथी. पण जेने योगात्मा होय छे तेने कषायात्मा कदाच होय के न होय, केमके सयोगी पकषायी अने अकषायी बन्ने प्रकारना होय छे.ए प्रमाणे उपयोगात्मा पण कहेवो, ते आ प्रमाणे-जेने कषायात्मा होय छ तेने उपयोगात्मा अवश्य होय छे, केमके उपयोगरहितने (जड पदार्थने) कषायो होता नथी, पण जेने उपयोगात्मा होय छे तेने कषायात्मा भजनाए होय छे. उपयोगात्मा छता पण सकषायीने कषायात्मा होय छे, पण वीतरागने कषायो होता नथी. कषायात्मा भने ज्ञानात्मानी परस्पर भजना जाणवी. जेमके जेने कषायात्मा होय छे तेने ज्ञानात्मा कदाचित् होय छे, अने कदाचित् होतो नथी. कारण के सकषायी सम्यग्दृष्टिने ज्ञानात्मा होय छे, पण मिथ्यादृष्टि सकषायीने ज्ञानात्मा होतो नथी, तथा जेने ज्ञानात्मा होय छे तेने कषायात्मा कदाचित् होय छे, कदाचित् होतो नथी. कारण के शानीने कषायो होय छ, भने होता पण नथी. जेम कषायात्मा अने उपयोगात्मानो संबन्ध कह्यो, तेम कषायामा भने दर्शनात्मानो संबन्ध कहेवो, जेमके जेने कषायात्मा होय छे तेने दर्शनारमा अवश्य होय छे, दर्शनरहित जड पदार्थने कषायारमा होतो नथी, पण तेने दर्शनाल्मा होय छे, तेने कषायात्मा कदाचित् होय छे भने कदाचित् होतो नथी, केमके दर्शनवाळाने कषाय होय छे भने होता पण नथी. कषायात्मा भने चारित्रात्मा परस्पर भजनाए जाणवा, जेमके जेने फषायात्मा होय छे तेने चारित्रात्मा कदाचित् होय छे, कदाचित् होतो नथी, कारण के सकषायीने प्रमत्त साधुनी पेठे चारित्र होय छ, भने असंयतनी पेठे तेनो अभाव पण होय छे. ते आ प्रमाणे-जेने चारित्रात्मा होय छे तेने कषायामा कदाचित् होय छे भने कदाचित् होतो नथी. सामायिकादि चारित्रवाळाने कषायो होय छे भने यथास्यातचारित्रवाळाने पेनो अभाव होय छे. जेम कषायात्मा भने योगात्मा कया तेम कषायामा भने वीर्यात्मानो संबन्ध कहेवो. . $ए प्रमाणे योगात्मानो उपयोगात्मा वगेरे उपरना पांच पदो साथे पूर्व प्रमाणे संबन्ध कहेवो, जेने चारित्रात्मा होय छे तेने योगात्मा कदाच सयोग चारिप्रवाळानी पेठे होय छे अने अयोगीनी पेठे कदाच होतो नथी. पण अन्य वाचनामा भावो पाठ छै 'जस्स चरित्ताया तस्स जोगाया नियम भरिय' जेने प्रत्युपेक्षणादिरूप चारित्रात्मा होय छे तेने योगात्मा अवश्य होय छे-टीका. || हवे उपयोगात्मानी साये वीजा चार पदोनो संबन्ध अतिदेश द्वारा जणावे छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.004642
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages422
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy