SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शतक ११.-उद्देशक ११. भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र. २३५ ३. [प्र०] से किं तं पमाणकाले ? [उ०] पमाणकाले दुविहे पन्नत्ते, तं-जहा-दिवसप्पमाणकाले, राइप्पमाणकाले य। चउपोरिसिए दिवसे चउपोरिसिया राई भवइ । उक्कोसिआ अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवर, जहनिया तिमुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ । ४. [प्र०] जदा णं भंते ! उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति, तदा णं कतिभागमुहुक्तभागेणं परिहायमाणी २ जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति? जदा णं जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति, तदा णं कतिभागमुहुत्तभागेणं परिवड्डमाणी २ उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? [उ०] सुदंसणा! जदा णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तदा ण बावीससयभागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी २ जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ । जदा णं जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया णं वावीससयभागमुहुत्तभागेणं परिवहमाणी २ उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति । ५. [प्र०] कदा णं भंते! उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स राईए वा पोरिसी भवइ, कदा वा जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? [उ०] सुदंसणा! जदा णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ तदा णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ, जहनिया तिमुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ । जया णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्तिया राई भवति, जहनिए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तदा णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ। ६. [प्र०] कदा णं भंते ! उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, कदा वा उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति ? [उ०] सुदंसणा! आसाढपुन्निमाए उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ । पोसस्स पुन्निमाए णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवर, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ । ७. [प्र०] अस्थि णं भंते ! दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति ? [उ.] हन्ता, अत्थि।। ८. [प्र०] कदा णं भंते! दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति ? [उ०] सुदंसणा! चित्ता-सोयपुनिमासु णं पत्थ प्रमाणकार. ३. [प्र०] हे भगवन् ! प्रमाणकाल केटला प्रकारे छे ? [उ०] प्रमाणकाल बे प्रकारनो कह्यो छे; ते आ प्रमाणे-दिवसप्रमाणकाल अने रात्रीप्रमाणकाल, अर्थात् चार पौरुषीना-प्रहरनो दिवस थाय छे, अने चार पौरुषीनी रात्री थाय छे. अने उत्कृष्ट-मोटामा मोटी साडा चार मुहूर्तनी पौरुषी दिवसनी, अने रात्रिनी थाय छे. तथा जघन्य-न्हानामा न्हानी पौरुषी दिवस अने रात्रिनी त्रण मुहूर्तनी थाय छे. १. [प्र०] हे भगवन् ! ज्यारे दिवसे के रात्रीए साडा चार मुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी होय छे त्यारे ते मुहूर्तना केटला भाग घटती घटती दिवसे अने रात्रीए त्रण मुहूर्तनी जघन्य पौरुषी थाय ? अने ज्यारे दिवसे के रात्रीए त्रण मुहूर्तनी न्हानामा न्हानी पौरुषी होय छे त्यारे ते मुहूर्तना केटला भाग वधती वधती दिवस अने रात्रीनी साडाचार मुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी थाय ? [उ०] हे सुदर्शन ! ज्यारे दिवसे अने रात्रीए साडाचार मुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी होय छे त्यारे ते मुहूर्तना एकसो बावीशमा भाग जेटली घटती घटती दिवस अने रात्रीनी जघन्य त्रण मुहूर्तनी पौरुषी थाय छे, अने ज्यारे दिवसे अने रात्रीए त्रण मुहूर्तनी जघन्य पौरुषी होय छे त्यारे मुहर्तना एकसो बावीशमा भाग जेटली वधती वधती दिवसे अने रात्रीए साडाचार मुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी थाय छे. ५. [प्र०] हे भगवन् ! व पारे दिवसे अने रात्रीए साडाचार मुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी होय, अने क्यारे दिवसे अने रात्रीए त्रण मुहूर्तनी जघन्य पौरुषी होय ! [उ०] हे सुदर्शन ! ज्यारे अढारमुहर्तनो मोटो दिवस होय अने बार मुहर्तनी न्हानी रात्री होय त्यारे साडाचार भर्तनी दिवसनी उत्कृष्ट पौरुषी होय छे, अने रात्रीनी त्रण मुहूर्तनी जघन्य पौरुषी होय छे. तथा ज्यारे अढारमुहूर्तनी मोटी रात्री होय अने नगर मुहर्तनो न्हानो दिवस होय त्यारे साडा चार मुहूर्तनी रात्रिनी उत्कृष्ट पौरुषी होय छे, अने त्रण मुहर्तनी दिवसनी जघन्य पौरुषी होय छे. ६. [प्र०] हे भगवन् ! अढार मुहूर्तनो मोटो दिवस, अने बार मुहूर्तनी न्हानी रात्री क्यारे होय ? तथा अढार मुहूर्तनी मोटी रात्री अने बार मुहूर्तनो न्हानो दिवस क्यारे होय ? [उ०] हे सुदर्शन | आषाढपूर्णिमाने विषे अढार मुहर्तनो मोटो दिवस होय छे, अने बार मुहूर्तनी न्हानी रात्री होय छे. तथा पोषमासनी पूर्णिमाने समये अढार मुहूर्तनी मोटी रात्री भने बार मुहूर्तनो न्हानो दिवस होय छे. ७. [प्र०] हे भगवन् ! दिवस अने रात्री ए बन्ने सरखा होय ! [उ०] हा, होय. ८. [प्र०] क्यारे ( दिवस अने रात्री ) सरखां होय ? [उ०] हे सुदर्शन ! ज्यारे चैत्री पूनम अने आसो मासनी पूनम होय त्यारे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.004642
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages422
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy