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शतक ५.-- उद्देशक ८.
तए से नारवचे अणगारे नियंठिपुढं अणगारे एवं नवासी: नोतु देपुपिया एयम जाणामो, पासामो, जड़ णं देवाणुप्पिय णों गिलायंति परिकहित्तए तं इच्छामि णं देवापियाणं अंतिर एम सोया, निसम्म जानिए.
भगवतुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र
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तए गं से नियंडिपुचे अणगारे नारयपुचं अणगारं एवं बयासी:- दव्वादेसेण वि मे अज्जो ! सब्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएस पि अनंता खेतासेण वि एवं चेन कालदेवि, भावादेसेण वि एवं चेव; जे दव्वओ अपएसे से खेत्तओ नियमा अपएसे, फालओ सिम सपएसे सिय अपने भावभो तिय सपए से, सिय अपएसे, जे खेत्तओ अपएसे से दव्वओ सिय सपएसे, सिव अपएसे, कालओ भगाए, भावओो मयणाए जहाँ खेत्तओ एवं कालओ, भावओ. जे दव्वओ सपएसे से खेत्तओ सिय सपएसे, सिय अपएसे; एवं कालओ, भाषओ वि. जे खेराओ सपरसे से दबाओ निवमा सपएसे फालओ भवणाए, भावओ भयणाए; जहा दव्वओ तहा कालओ, भावओ वि.
२. प्र० एसि भेते! पोग्गलाणं दव्यादेसेणं, सेवादेसेणं, कालादेसेणं, भावादेसेणं सपएसाणं, अपएसाणं कयरे, कयरे जाय विसेसाहिया या
२. उ०- वारयता ! सम्यस्थोपा पोग्गला भाषादेसेणं अपएमा, कालादेसेणं अपना असंजगुणा, दयादेसेणं असा असंखेज्जगुणा, खेत्तादेसेणं अप्पएसा असंखेज्जगुणा, खेत्तादेसेणं चेव सपएसा असंखेज्जगुणा; दव्वादेसेणं सपएसा विसेसाहिया, कालादेसेणं सपएसा विसेसाहिया, भावादेसेणं सपएसा विसेसाहिया.
- तणं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं वंदइ, नसंसइ, वंदित्ता, नपुंसित्ता एवं अहं सम्मं विणएणं भुज्जो भुजो
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सारे से नारदपुत्र अनगारे निधीपुत्र अनगार प्रति एम के है देव मुयि ए अर्थने अने जाणता नधी, जोता नथी; हे देवानुप्रिय ! जो तमे ते अर्थने कहेतां ग्लानि न पामो तो हुं आप देवानुप्रियनी पासे ए अर्थने सांभळी, अवचारी जाणवा इच्छु छु.
-सार याद से निधीपुत्र अनगारे नारदपुत्र अनगारने एम कथं के, हे आर्य ! मारा धारवा प्रमाणे द्रव्यादेशवडे पण सर्व पुद्रको सप्रदेश पण छे अने अप्रदेश पण छे, तेभो अनंत छे क्षेत्रादेशवडे पण एम ज छे; कालादेश अने भावादेशवडे पण ए प्रमाणे ज छे, जे पुल द्रव्यनी अप्रदेश छे, ते नियमे करी चोक्कत क्षेत्रथी अप्रदेश होय छे, कालथी कदाचित् सप्रदेश अने कदाचित् अप्रदेश होय अने गावची पण कदाचित् सप्रदेश होप अने कदाचित् अप्रदेश होय. जे क्षेत्रथी अप्रदेश होय ते द्रव्यवी कदाच सप्रदेश होप अने कदाच अप्रदेश होय, कालथी तथा भावी पण भजनार जाग, जेम क्षेत्रथीक, रोम कालथी अने भावधी कहेवुं. जे पुद्गल द्रव्यथी सप्रदेश होय ते क्षेत्रथी कदाच सप्रदेश होय अने कदाच अप्रदेश होय, एम कालथी अने भावथी पण जाणी लेवुं. जे पुद्गल क्षेत्रथी सप्रदेश होय ते, द्रव्यथी चोक्कस सप्रदेश होय अने कालथी तथा भावधी भजनावडे होय, जेम द्रव्यथी कयुं तेम कालथी अने भावधी पण जाणवुं.
३. प्र० - हे भगवन् ! द्रव्यादेशथी, क्षेत्रादेशथी, कालादेशथी, अने भावादेशथी सप्रदेश अने अप्रदेश ए पुद्गलोमां क्या क्या पुद्गलो यावत्-थोडा छे, घणां छे, सरखां छे अने विशेषाधिक छे !
३. उ० - हे नारदपुत्र ! भावादेशवडे अप्रदेश पुगलो सर्वश्री थोडा छे, ते करतां कालादेशची अप्रदेशो असंवगुण छे, ते करतां द्रव्यादेशची अप्रदेशो असंख्यगुण छे, ते करतां क्षेत्रादेशथी अप्रदेशो असंख्यगुण छे, ते करतां क्षेत्रादेशथी सप्रदेशो असंख्यगुण छे, ते करतां द्रव्यादेशची सप्रदेशो विशेषाधिक छे, ते करतां कालादेशी सप्रदेशो विशेषाधिक छे अने ते करतां भावादेशथी प्रदेश विशेषाधिक छे,
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१. मूलच्छायाः - तदा स नारदपुत्रोऽनगारो निर्ग्रन्थीपुत्रम् अनगारम् एवम् अवादीत्ः - नो खलु देवानुप्रियाः । एतम् अर्थ जानामि पश्यामि, यदि देवोपरि व इच्छ मे देवानाम् अन्तिके, नियतः मारदपुत्रम् अनवारम् एवम् अवादीत:-इव्याऽऽदेशेन ऽपि मे आये सर्वे पुलाः सप्रदेश अपि अप्रदेश अपि-अनन्ता एवं कालाऽऽदेशेनाऽपि भावादेशेनाऽपि एवं चैव; यो द्रव्यतोऽप्रदेशः स क्षेत्रतो नियमेनाऽप्रदेशः, कालतः स्यात् सप्रदेशः स्याद् अप्रदेशः, भावतः स्यात् सप्रदेशः, स्याद् अप्रदेशः यः क्षेत्रतोऽप्रदेशः स द्रव्यतः स्यात् संप्रदेशः स्यादू अप्रदेशः, कालतो भजनया, भावतो भजनया; यथा क्षेत्रतः एवं कालतः, भावतः यो द्रव्यतः सप्रदेशः स क्षेत्रतः स्यात् सप्रदेशः स्याद् अप्रदेशः एवं कालतः, भावतोऽपि यः क्षेत्रतः सप्रदेशः स द्रव्यो नियमेन सप्रदेशः, कालतो भजनया, भावतो भजनया; यथा द्रव्यतस्तथा कालतः, भावतोऽपि एतेषां भगवन् ! पुद्गलानां द्रव्याऽऽदेशेन, क्षेत्राऽऽदेशेन, कालादेशेन, भावादेव समदेशानाम् अप्रदेशान कतरा कतरो त्या नारदपुत्र सोधः पुचः भावाऽऽदेशेनाप्रदेशा, काला देशेगादेश अगुवा, इनादेशा अपेक्षेाऽदेशेन अशा अवगुणा देशादेशेन एवं प्रदेश अध द्रव्याऽऽदेशेन समदेशा विशेषाऽविका, कालाऽऽदेशेन प्रदेश विशेषाचा भावाऽऽदेशेन देवाविशेषाऽधिकाः तथा स नारदोऽनगारो निर्धन्धीपम् अनगार बन्न नमानमर्थम् विनवेन भूयो भूयः अनु
—यार पछी ते नारदपुत्र अनगार निर्माधीपुत्र अनगारने बंदे छे, नमे छे; बंदी, नमी ए अर्थने-पोते कहेल अर्थ - माटे
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