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शतक ५.-उद्दशेक १. भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र.
१४७. उक्कोसिए अट्टारसमुहुत्ते दिवसे भवड़ तया णं भंते ! जंबूदीवे ज्यारे पश्चिमे मोटामां मोटो अढार मुहूर्तनो दिवस होय छे त्यारे दीवे उत्तरे दुवालसमुहुत्ता जाब-राई भवइ ?
हे भगवन् ! जंबूद्वीपमा उत्तरार्धमां नानामां नानी बार' मुहूर्तनी
रात्री होय छे? ५. उ०-हंता, गोयमा ! जाव-भवइ.
५. उ०---हे गौतम! हा, एज रीते यावत्-होय छे. ६. प्र०--जया णं भंते ! जंबूदीचे दीवे दाहिणड़े अट्ठारस- ६. प्र०--हे भगवन् ! ज्यारे जंबूद्वीपमा दक्षिणार्धमा अढार मुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरे अट्ठारसमुहुत्तागंतरे दिवसे मुहूर्त करतां कांइक ऊणो-मुहूतानन्तर-दिवस होय छे त्यारे भवइ, जया णं उत्तरड़े अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरार्धमा अढार मुहूतीनन्तर दिवस होय छे अने ज्यारे जम्बूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं पचत्थिमे णं उत्तरार्धमा अढार मुहूर्तानन्तर दिवस होय छे त्यारे जंबूद्वीपमां मंदर साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ?
पर्वतनी पूर्व पश्चिमे बार मुहूर्त करतां कांइक वधारे लांबी रात्री
होय छे? ६. उ०--हंता, गोयमा ! जया णं जम्बू० जाव-राई ६. उ०-- हे गौतम ! हा, ए ज रीते होय छे-जबूद्वीपमा भवइ.
यावत्-रात्री होय छे. ७. प्र०–जया णं भंते ! जम्बू० मंदरस्स पव्वयस्स पुर- ७. प्र०--हे भगवन् ! ज्यारे जंबूद्वीपमां मंदर पर्वतनी पूर्व थिमे णं अट्ठारसमहत्ताणतरे दिवसे भवइ तया णं पचत्थिमे णं अढार मुहूर्तानंतर दिवस होय छे त्यारे पश्चिमे अढार मुहृतानंतर अट्ठारसमुहत्ताणतरे दिवसे भवइ, जया णं पचत्थिमे णं अट्ठार- दिवस होय छे अने ज्यारे पश्चिमे अढार मुहूर्तानंतर दिवस होय समहत्ताणंतरे दिवसे भवई तदा णं जम्ब० मंदरस्स पव्ययस्स छे त्यारे जंबूद्वीपमां मंदर पर्वतनी उत्तर दक्षिणे बार मुहूर्त करता - उत्तरदाहिणे साइरेगदुवालसमुहुत्ता राई भवइ ?
कांइक वधारे लांबी रात्री होय छे ? ७. उ०–हता, गोयमा ! जाव- भवइ.
७. उ.--हे गौतम ! हा, ए ज रीते होय छे. एवं एएणं कमेण ओसारेअव्वं, सत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसम- ए प्रमाणे एक्रमवडे दिवसनुं माप ओळु करवू अने रात्रीचें माप हुत्ता राई भवइ सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसें साइरेगा तेरस मुहुत्ता वधारः ज्यारे सत्तर मुहूर्तनो दिवस होय त्यारे तेर मुहूर्तनी रात्री राई, सोल समुहुत्ते दिवसे चोद्दसमुहुत्ता राई, सोलसमुहत्ताणंतरे होय, ज्यारे सत्तर मुहूर्त करतां कांइक ओछो-लांबो- दिवस होय दिवसे साइरेगचउद्दसमुहुत्ता राई, पण्णरसमुहत्ते दिवसे पन्नरस- सारे तेर मुहर्त करतां कांइक बधारे-लांबी-रात्री होय. ज्यारे सोळ मुहुत्ता राई, पण्णरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगा पण्णरसमुहुत्ता मुहर्तनो दिवस होप त्यारे चौद मुहूर्तनी रात्री होय. ज्यारे सोळ राई, चोद्दसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहुत्ता राई, चोद्दसमुहुत्ताणंतरे मुहूर्त करता काइक ओछो दिवस होप त्यारे चौद मुहूर्त दिवसे साइरेगा सोलसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरस- करतां कांइ वधारे रात्री होय. ज्यारे पन्नर मुहूर्तनो दिवस मुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगा सत्तरसमुहुत्ता राई. होय त्यारे पन्नर मुहूर्तनी रात्री होय. पारे पन्नर मुहूर्त करता
कांइक ओछो दिवस होय सारे पन्नर मुहूर्त करतां कांइक बधारे रात्री होय. ज्यारे चौद मुहूर्तनो दिवस होय त्यारे सोळ मुहूर्तनी रात्री होय. ज्यारे चौद मुहूर्त करतां कांइक ओछो दिवस होय छे त्यारे सोळ मुहूर्त करतां कांइक वधारे रात्री होय छे. ज्यारे तेर मुहूर्तनो दिवस होय छे त्यारे सत्तर मुहूर्तनी रात्री होय छे. ज्यारे तेर मुहर्तनो दिवस होय छे त्यारे सत्तरं मुहर्तनी रात्री होय छे. ज्यारे तेर महर्त करतां कांइक ओछो दिवस होय छे त्यारे सत्तर मुहूर्त करतां कांइक वधारे रात्री होय छे.
१. मूलच्छायाः-उत्कृष्टकोऽष्टादशमुहूर्तो दिवसो भवति तदा भगवन् ! जम्बूद्वीपे द्वीपे उत्तरे द्वादशमुहूती यावत्-रात्रिभवति । हन्त, गौतम ! यावत्-भवति. यदा भगवन् ! जम्बुद्वीपे द्वीपे दक्षिणाऽर्धेऽष्टादशमुहतीऽनन्तरो दिवसो भवति तदा उत्तरेऽष्टादशमुहूर्त नन्तरो दिवसो भवति, यदा उत्तराऽर्धेऽष्टादशमुहूतीऽनन्तरो दिवसो भवति तदा जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्ये, पश्चिमे सातिरेका द्वादशमुहूती रात्रिर्भवंति ? हन्त, गौतम ! यदा जम्बू० यावत्-रानिर्भवति. यदा भगवन् ! जम्वु मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्येऽष्टादशमुहूर्तानन्तरो. दिवसो भवति तदा पश्चिमेऽटादशमुहूतीऽनन्तरो दिवसो भवति, यदा पश्चिमेऽष्टादेशमुहूर्तानन्तरो दिवसो भवति तदा जम्यु० मन्दरस्य पर्वतस्य उत्तर-दक्षिणे सातिरेकद्वादशमुहूती रात्रिर्भवति ? हन्त, गौतम! यावत्-भवति. एवम् एतेन क्रमेण अवसारयितव्यम् , सप्तदशमुहूर्तो दिवसः त्रयोदशमुहूर्ती रात्रिर्भवति, सप्तदशमुहूर्त:ऽनन्तरो दिवसः सातिरेका त्रयोदश हूती रात्रिः, षोडशमुहूतौ दिवसञ्चतुर्दशमुहूती रात्रिः, पोडशमुहूर्ताऽननारी दिवसः सातिरेका चतुर्दशमुहूर्त। रात्रिः, पनदशमुहूर्तो दिवसः पञ्चदशमुहूर्ता रात्रिः, पञ्चदशमुहूताऽनन्तरो दिवसः सातिरेका पञ्चदशमुहूती रात्रिः, चतुर्दशमुहूर्तो दिवसः पोडशमुहूर्ता रात्रिः, चतुर्दशमुहूर्ताऽनन्तरो दिवसः सातिरेका षोडशमुहूती, रात्रिः, त्रयोदशमुहूर्तो दिवसः सप्तदशमुर्ती रात्रिः, त्रयोदशमुहूर्ताऽनन्तरो दिवसः सातिरेका सप्तदशमुहूती रात्रिः-अनु.
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