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________________ स्थान को गुणस्थान या गुणस्थानककी संज्ञा दी गई है। 333 प्रश्र किस गुणस्थान के कारण जीव-आत्मा इस संसारमें परिभ्रमण करता है? उत्तर चौदह गुणस्थानक पैकी प्रथम मिथ्यात्व गुणस्थानक के कारण जीवात्मा चार गतियों में चौबीस दंडको में तथा चौराशी लाख जीवायोनिरुप इस संसारमें परिभ्रमण करता 334 प्रश्र पहला मिथ्यात्व गुणस्थानक किसे कहते हैं? उत्तर सर्वज्ञ विभु वितराग देव श्री जिनेश्वर भगवानको वचनसे विपरीत प्ररुपणा एवम् परसना करनेका नाम मिथ्यात्व है। गुणस्थानक कहा जाता है। अर्थात् कुदेव, कुगुरू और कुधर्म के प्रति श्रद्धा रखने के लिये दूसरे को प्राप्त करना जिससे वह सुदेव, सुगुरु और सुधर्म न माने न पूजे तथा हिंसादिसे दोषित धर्मको माने। जैसे जीव प्रथम मिथ्यात्व गुणस्थानकमें है जैसा कह सकते है। 335 प्रश्र मिश्र गुणस्थानक किसे कहते है? सम्यकत्व और मिथ्यात्व ईन दोनों के मिश्रण से अंतरमुहूर्त काल प्रमाण जो भाव उत्पन्न होता है उसे मिश्रित भावका नाम मिश्र गुणस्थानक है। अर्थात् सम्यक्त्व और मिथ्यात्व के परस्पर मिल जाने पर जो अभ्यन्तर भाव उत्पन्न होता है उसे मिश्र गुणस्थानक कहते है। 336 प्रश्र पंचमदेशविरति गुण स्थानक में रहा जीवआत्मा किस गति में उत्पन्न होता है? और इस संसारमें कितने भव करके मोक्ष पाता है? ईस पंचमदेशविरति जीव-आत्मा देवगतिमें उत्पन्न होता है उत्तर उत्तर (१०१) Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004579
Book TitlePuchhata Nar Pandita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavin Shah
PublisherKusum K Shah Bilimora
Publication Year2002
Total Pages470
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Literature
File Size17 MB
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