________________ - - 360 दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् दशमी दशा / एवं वयासी-जुत्ते ते सामी धम्मिए जाण-प्पवरं आइटुं, भदं ते वग्गुहिं गाहित्ता / ____यत्रैव वाहन-शाला तत्रैवोपागच्छति, उपागत्य वाहन-शालामनुप्रविशति, अनुप्रविश्य वाहनानि प्रत्युत्प्रेक्षति, प्रत्युत्प्रेक्ष्य वाहनानि संप्रमार्जयति, संप्रमाW वाहनान्यास्फालयति, आ-स्फाल्य वाहनानि निष्काशयति, संप्रमार्ण्य, निष्काश्य दुष्यं प्रविणयति, प्रविणीय वाहनानि समलङ्करोति, समलंकृत्य वाहनानि . वर-भण्डक-मण्डितानि करोति, (मण्डितानि) कृत्वा वाहनानि यानेषु योजयति, योतयित्वा वर्त्म ग्राहयति, ग्राहयित्वा प्रतोदयष्टीः प्रतोद-धरांश्च समं (एककालमेव) आरोहयति, आरोहयित्वान्तराश्रम-पदे यत्रैव श्रेणिको राजा तत्रैवोपागच्छति, उपागत्य करतलं यावदेवमवादीत्-युक्तं ते स्वामिन् ! धार्मिक यान-प्रवरमादिष्टं भद्रं भवतु / वाग्भिर्गृहीतम्। पदार्थान्वयः-जेणेव-जहां वाहण-साला-वाहन-शाला थी तेणेव-वहां उवागच्छइ-आता है और उवागच्छइत्ता-आकर वाहण-सालं-वाहन-शाला में अणुप्पविसइ-प्रवेश करता है और अणुप्पविसइत्ता-प्रवेश कर वाहणाई-वाहनों को पच्चुवेक्खइ-देखता है और पच्चुवेक्खइत्ता-देखकर वाहणाई-वाहनों को संपमज्जइ-सम्प्रमार्जन करता है और संपमज्जइत्ता-वाहनों को अप्फालेइ-थपथपाता है और अप्फालेइत्ता-थपथपा कर वाहणाई-वाहनों को णीणेइ-वाहन-शाला से बाहर निकालता है और णीणेइत्ता-बाहर निकाल कर दूसं-उनके वस्त्र को पवीणेइ-निकालता है और पवीणेइत्ता-निकाल कर वाहणाई-वाहनों को समलंकरेइ-अलंकृत करता है और समलंकरेइत्ता-अलंकृत कर वरभंडगमंडियाई करेइ-उनको उत्तम भूषणों से मण्डित करता है और मण्डित करेइत्ता-कर जाणगं-यान के साथ जोएइ-जोड़ता है जोएइत्ता-जोड़कर वट्टमग्गं गाहेइ-मार्ग में स्थापित करता है और गाहेइत्ता-स्थापन कर पओदलटिं-चाबुक और पओद-धरे-चाबुक धारण करने वाले पुरुषों को सम-एक साथ आरोहइत्ता-चढ़ाकर अंतरासमपदंसि-रथ्या (गली) के बीच से बढ़ाता हुआ जेणेव-जहां सेणिए राया श्रेणिक राजा था तेणेव-वहीं पर उवागच्छइ-आता है और उवागच्छइत्ताआकर है और