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________________ (अट्ठमन्झयणं अष्टम अध्ययन मूलम्—अट्ठमस्स उक्खेवओ, एवं खलु, जम्बू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे / गुणसिले चेइए / सेणिए राया // 231 // छाया—अष्टमस्योत्क्षेपकः, एवं खलु जम्बूः ! तस्मिन् काले तस्मिन् समये राजगृहं नगरम्, गुणशीलश्चैत्यः, श्रेणिको राजा। शब्दार्थ-अट्ठमस्स उक्खेवओ—आठवें अध्ययन का उपक्षेप–प्रारम्भ पूर्ववत् है, एवं खलु, जम्बू!—इस प्रकार हे जम्बू!, तेणं कालेणं तेणं समएणं—उस काल उस समय, रायगिहे नयरे–राजगृह नामक नगर था, गुणसिले चेइए—गुणशील नामक चैत्य था, सेणिए राया श्रेणिक राजा था। भावार्थ आठवें अध्ययन का उपक्षेप पूर्ववत् है। श्री जम्बू स्वामी के प्रश्न करने पर श्री सुधर्मा स्वामी जी ने उत्तर दिया हे जम्बू! उस काल जबकि चतुर्थ आरक था और श्री श्रमण भगवान महावीर स्वामी विराजमान थे, उस समय राजगृह नामक नगर था। गुणशील चैत्य उसके बाहर था। वहां पर महाराजा श्रेणिक राज्य करते थे। महाशतक का वर्णन- मूलम् तत्थ णं रायगिहे महासयए नामं गाहावई परिवसइ, अड्ढे, जहा आणंदो। नवरं अट्ठ हिरण्ण-कोडीओ सकंसाओ निहाण-पउत्ताओ, अट्ठ हिरण्ण-कोडीओ सकंसाओ वुड्डि-पउत्ताओ, अट्ठ हिरण्ण-कोडीओ सकंसाओ पवित्थर-पउत्ताओ, अट्ठ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं // 228 // छाया तत्र खलु राजगृहे महाशतको नाम गाथापतिः परिवसति, आढ्यो, यथाऽऽनन्दः, नवरमष्ट हिरण्यकोट्यः, सकांस्या निधान-प्रयुक्ताः, अष्ट हिरण्यकोट्यः सकांस्या वृद्धि-प्रयुक्ताः, अष्ट हिरण्यकोट्यः, सकांस्याः प्रविस्तर-प्रयुक्ताः, अष्ट व्रजा दशगोसाहस्रिकेण व्रजेन | __शब्दार्थ तत्थ णं रायगिहे—उस राजगृह नगर में, महासयए नामं गाहावई—महाशतक नाम का श्री उपासक दक्ष 1 / 331 / महाशतक उपासक, अष्टम अध्ययन
SR No.004499
Book TitleUpasakdashang Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size9 MB
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