________________ __4. सम-सुहदुक्ख सहाइया—(समसुख-दुःख सहायिका) वह अपने पति के सुख और दुख में बराबर हिस्सा बंटाती थी और प्रत्येक अवसर पर सहायता करती थी। भारतीय परम्परा में पत्नी को सहधर्मचारिणी कहा गया है। अग्निमित्रा अपने इस कर्त्तव्य का पालन कर रही थी। उसने गृहस्थी के कार्यों में पति को सदा सहायता दी और उसकी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखा। उसमें धर्म भावना जागृत रखी। जब देव द्वारा किए गए उपसर्ग के कारण संकट आया और वह विचलित हो गया, तो उसे पुनः धर्म में स्थापित किया और आत्मविकास के मार्ग पर अग्रसर किया। इस प्रकार वह सच्चे रूप में धर्म सहायिका और धर्म-वैद्या सिद्ध हुई। // सप्तम अङ्ग उपासकदशा का सप्तम सद्दालपुत्र अध्ययन समाप्त || श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 330 / सद्दालपुत्र उपासक, सप्तम अध्ययन