________________ छाया शेषं यथा चुलनीपितुर्यावत्सौधर्मे कल्पेऽरुणश्रेष्ठे विमाने उत्पन्नः / चत्वारि पल्योपमानि स्थितिः, शेषं तथैव यावन्महाविदेहे वर्षे सेत्स्यति ।निक्षेपः। || सप्तमस्याङ्गस्योपासकदशानां पंचमं चुल्लशतकमध्ययनं समाप्तम् // भावार्थ सेसं जहा चुलणीपियस्स जाव सोहम्मे कप्पे शेष सब चुलनीपिता के समान है यावत् सौधर्म-कल्प में, अरुणसिठे विमाणे उववन्ने अरुणश्रेष्ठ नामक विमान में उत्पन्न हुआ, चत्तारि पलिओवमाइं ठिई (वहां उसकी भी) चार पल्योपम स्थिति है, सेसं तहेव—शेष पूर्ववत् है, जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ यावत् महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होगा। शब्दार्थ शेष सब चुलनीपिता के समान यावत् सौधर्म-कल्प के अरुणश्रेष्ठ विमान में वह उत्पन्न हुआ। वहां उसकी भी चार पल्योपम स्थिति है, महाविदेह में जन्म लेकर सिद्ध होगा। निक्षेप पूर्ववत् समझें। // सप्तम अङ्ग उपासकदशा-सूत्र का पञ्चम् चुल्लशतक अध्ययन समाप्त // श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 266 / चुल्लशतक उपासक, पञ्चम अध्ययन