________________ लगी हुई हैं तथा छः करोड़ गृह तथा उपकरणों में लगी हैं, उन सबको चौराहों पर बिखेर दूंगा जिससे तू चिन्तामग्न तथा दुखी होकर अकाल में ही मृत्यु को प्राप्त करेगा। मूलम्—तए णं से चुल्लसयए समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ॥ 162 // छाया–ततः खलु स. चुल्लशतकः श्रमणोपासकस्तेन देवेनैवमुक्तः सन्नभीतो यावद्विहरति। शब्दार्थ तए णं से चुल्लसयए समणोवासए तदनन्तर वह चुल्लशतक श्रमणोपासक, तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे—उस देव के इस प्रकार कहने पर भी, अभीए जाव विहरइ–निर्भय यावत् ध्यान में स्थिर रहा। भावार्थ चुल्लशतक देव द्वारा इस प्रकार कहने पर भी ध्यान में स्थिर रहा। मूलम् तए णं से देवे चुल्लसयगं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता दोच्चंपि तच्चंपि भणइ, जाव ववरोविज्जसि // 163 // छाया ततः खलु स देवश्चुल्लशतकं श्रमणोपासकमभीतं यावद् दृष्ट्वा द्वितीयमपि तृतीयमपि तथैव भणति यावद्व्यपरोपयिष्यसे / शब्दार्थ तए णं से देवे चुल्लसयगं समणोवासयं तदनन्तर वह देव चुल्लशतक श्रमणोपासक को, अभीयं जाव पासित्ता–निर्भय यावत् देखकर, दोच्चं पि तच्चं पि तहेव भणइ–द्वितीय तथा तृतीय बार उसी तरह कहा, जाव ववरोविज्जसि—यावत् मारा जाएगा। , भावार्थ देव ने चुल्लशतक को निर्भय यावत् ध्यान में स्थिर देखकर दूसरी तथा तीसरी बार उसी प्रकार कहा—यावत् मारा जाएगा। ___ चुल्लशतक का विचलित होना और पत्नी द्वारा समाश्वासनमूलम् तए णं तस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्वंपि तच्चंपि एवं वुत्तस्स समाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए ४-"अहो णं इमे पुरिसे अणारिए जहा चुलणीपिया तहा चिंतेइ, जाव कणीयसं जाव आयंचइ, जाओ वि य णं इमाओ ममं छ हिरण्ण-कोडीओ निहाण-पउत्ताओ छ वुड्डि-पउत्ताओ छ पवित्थर-पउत्ताओ, ताओ वि य णं इच्छइ ममं साओ गिहाओ नीणेत्ता, आलभियाए नयरीए सिंघाडग जाव विप्पइरित्तए, तं सेयं खलु ममं एयं पुरिसं गिण्हित्तए" त्ति कटु उद्धाइए, जहा सुरादेवो। तहेव भारिया पुच्छइ, तहेव कहेइ // 164 // छाया–ततः खलु तस्य चुल्लशतकस्य श्रमणोपासकस्य तेन देवेन द्वितीयमपि - श्री उपासक दशांग सूत्रम् | 264 | चुल्लशतक उपासक, पञ्चम अध्ययन /